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भाग 1: प्रारंभिक भूमिका – चतुर्थी का महत्व
“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
हिंदू संस्कृति में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और सिद्धिदाता कहा गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणपति वंदना से होती है। ऐसे में गणेश जी की आराधना का सबसे पवित्र दिन माना जाता है – चतुर्थी।
चतुर्थी तिथि हर माह दो बार आती है – एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं, मानसिक शांति प्राप्त होती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
चतुर्थी का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी विशेष है। यह दिन हमें सिखाता है कि हर बाधा को धैर्य और भक्ति से पार किया जा सकता है। मोदक और दूर्वा चढ़ाकर की गई प्रार्थना भक्त और भगवान के बीच प्रेम का अद्भुत संगम रचती है।
भाग 2: विनायक और संकष्टी चतुर्थी का विभाजन व महत्व
- विनायक चतुर्थी (शुक्ल पक्ष):
यह चतुर्थी सकारात्मक ऊर्जा, नए कार्यों की शुरुआत और सफलता का प्रतीक है। इस दिन गणेश जी को लड्डू, मोदक और लाल फूल चढ़ाकर व्रत रखा जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में नई संभावनाएँ खुलती हैं।- यह हर महीने शुक्ल पक्ष की चौथी तिथि को पड़ती है।
- इसे विनायक चतुर्थी व्रत कहा जाता है।
- यह व्रत सुख-समृद्धि और कार्यों की सफलता के लिए किया जाता है।
- इस दिन गणेश जी की विशेष पूजा, दुर्वा, मोदक और लड्डू अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- संकष्टी चतुर्थी (कृष्ण पक्ष):
इस चतुर्थी का महत्व संकट निवारण से जुड़ा है। इसका नाम ही “संकट हरने वाली चतुर्थी” है। रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलने से सभी प्रकार के क्लेश और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। मान्यता है कि संकष्टी व्रत से गणेश जी तुरंत प्रसन्न होकर इच्छाएँ पूरी करते हैं।- यह चतुर्थी हर महीने कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि को पड़ती है।
- इसे संकष्टी गणेश चतुर्थी कहते हैं।
- व्रत करने से जीवन के संकट दूर होते हैं।
- व्रत में दिनभर उपवास रखकर रात में चंद्र दर्शन और गणेश पूजा के बाद व्रत खोला जाता है।
भाग 3: चतुर्थी पूजा विधि
चतुर्थी व्रत का आरंभ प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने से होता है। घर के पवित्र स्थान पर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। प्रतिमा के सामने एक स्वच्छ चौकी बिछाएँ, उस पर पीला या लाल कपड़ा रखें और फिर मूर्ति को विराजमान करें।
पूजा की मुख्य सामग्री:
- दूर्वा (21 या 11 पत्तियाँ)
- मोदक व लड्डू (विशेषकर नारियल या गुड़ के)
- सिंदूर, रोली, अक्षत
- धूप, दीपक और पंचामृत
- लाल फूल और शुद्ध जल
पूजा विधि क्रम:
- गणेश जी का आह्वान करते हुए दीप प्रज्वलित करें।
- “वक्रतुंड महाकाय” मंत्र का जाप कर उन्हें प्रणाम करें।
- गणेश जी को जल, रोली, अक्षत अर्पित करें और दूर्वा चढ़ाएँ।
- मोदक या लड्डू का भोग लगाएँ।
- गणेश चालीसा या गणपति स्तोत्र का पाठ करें।
- अंत में आरती कर परिवार के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करें।
भाग 4: व्रत के नियम और रिवाज
चतुर्थी व्रत में प्रायः दो प्रकार की विधियाँ प्रचलित हैं:
- फलाहार व्रत – इसमें केवल फल, दूध या पंचामृत लिया जाता है।
- निर्जल व्रत – संपूर्ण दिन बिना जल पिए व्रत रखा जाता है और रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद व्रत तोड़ा जाता है।
महत्वपूर्ण नियम:
- व्रत वाले दिन सादा आचरण रखें और सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
- व्रत के दौरान क्रोध, कटु वचन, हिंसा व नकारात्मक विचारों से बचें।
- संध्या समय गणेश जी का भजन करें और रात में चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत पूर्ण करें।
भाग 5: चतुर्थी कथाएँ (संक्षिप्त)
(क) संकष्टी चतुर्थी कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय पार्वती माता ने बाल गणेश को पहरेदारी के लिए खड़ा कर दिया। शिवजी ने अनजाने में गणेश का सिर काट दिया। पार्वती जी के रोष को शांत करने के लिए शिवजी ने हाथी का मस्तक लगाकर गणेश को पुनर्जीवित किया और उन्हें वर दिया कि जो भी संकष्टी चतुर्थी का व्रत करेगा, उसके सभी संकट दूर होंगे।
एक अन्य कथा में कहा गया है कि चंद्रमा ने गणेश जी का उपहास किया, जिससे गणेश जी ने उसे शाप दिया कि जो भी भाद्रपद की चतुर्थी को उसका दर्शन करेगा, उस पर मिथ्या दोष लगेगा। बाद में गणेश जी ने कहा कि संकष्टी चतुर्थी को उचित विधि से पूजा व व्रत करने से यह दोष समाप्त होगा और संकट दूर होंगे।
(ख) विनायक चतुर्थी महात्म्य:
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को जन्मे गणेश जी का जन्मोत्सव इस दिन मनाया जाता है। किंवदंती है कि इस दिन गणेश जी के पूजन से बुद्धि, विवेक और समृद्धि की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि राजा अभयमल ने विनायक चतुर्थी का व्रत रखकर अपने राज्य की सारी विपत्तियाँ दूर कर दीं। तभी से यह परंपरा चलती आ रही है।
भाग 6: वैज्ञानिक दृष्टिकोण
चतुर्थी व्रत केवल धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी है।
- चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव:
कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चौथी तिथि पर चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण मन और शरीर पर विशेष प्रभाव डालता है। इस दिन उपवास करने से शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है और मानसिक स्थिरता मिलती है। - उपवास का मानसिक लाभ:
फलाहार या निर्जल व्रत रखने से शरीर हल्का रहता है, पाचन क्रिया सुधरती है और मन एकाग्र होता है। प्राचीन काल में इसे ध्यान और भक्ति के लिए सर्वोत्तम माना गया। - चंद्रदर्शन का महत्व:
चंद्रमा की शीतलता मन के तनाव को कम करती है। रात में चंद्रमा को देखकर व्रत खोलना एक प्रकार की मानसिक थेरेपी है, जिससे शांति और सुकून का अनुभव होता है।
भाग 7: चतुर्थी व्रत के लाभ
चतुर्थी व्रत को शास्त्रों में सर्वसिद्धिकर व्रत कहा गया है। भक्तिभाव से किया गया यह व्रत व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार के लाभ लाता है।
1. संकट निवारण
इस व्रत को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है संकटों का नाश करने वाली चतुर्थी। व्रत रखने से जीवन के दुख, रोग और विघ्न दूर होते हैं।
2. समृद्धि और सफलता
विनायक चतुर्थी व्रत रखने से नए कार्यों में सफलता और आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत बुद्धि और विवेक का भी संवर्धन करता है।
3. मानसिक शांति
चतुर्थी व्रत के दौरान मंत्र-जप और ध्यान करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है। चंद्रदर्शन से मनोवैज्ञानिक रूप से भी संतुलन मिलता है।
4. आयु वृद्धि और पारिवारिक सुख
शास्त्रों में कहा गया है कि जो माता-पिता संतान की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखते हैं, उन्हें शुभ फल की प्राप्ति होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।
5. आध्यात्मिक उत्थान
गणेश जी को बाधाओं का नाश करने वाला देवता कहा गया है। उनकी आराधना से आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है और भक्त को मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है।
भाग 8: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र.1: अगर किसी कारणवश व्रत पूरा न कर पाऊँ तो क्या करना चाहिए?
– यदि व्रत बीच में टूट जाए, तो अगले दिन गणेश जी से क्षमा याचना कर संकल्प पुनः लें। श्रद्धा और भावना सबसे महत्वपूर्ण है।
प्र.2: व्रत के दौरान क्या फलाहार कर सकते हैं?
– हाँ, आप फल, दूध, पानी, पंचामृत या सात्त्विक आहार ले सकते हैं। परन्तु अन्न व नमक युक्त भोजन वर्जित है।
प्र.3: क्या यात्रा में भी व्रत रखा जा सकता है?
– जी हाँ, व्रत भाव का प्रतीक है। आप जहाँ भी हों, गणेश जी का स्मरण, मंत्र-जप और संकल्प करके व्रत कर सकते हैं।
प्र.4: व्रत के दिन केवल गणेश जी की पूजा करनी है या अन्य देवताओं की भी?
– मुख्य पूजा गणेश जी की होती है, परंतु आप अन्य देवी-देवताओं का स्मरण भी कर सकते हैं। व्रत का उद्देश्य संपूर्ण भक्ति और श्रद्धा है।
प्र.5: चंद्रदर्शन कब और क्यों करना आवश्यक है?
– संकष्टी चतुर्थी में चंद्रदर्शन के बाद ही व्रत खोलना अनिवार्य है। मान्यता है कि चंद्रमा की शीतलता मन को संतुलित करती है और पूर्णता का भाव देती है।
भाग 9: जनवरी 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 3 जनवरी 2025, शुक्रवार
- मुहूर्त: प्रातः 11:20 AM से 1:25 PM (लगभग)
- महत्व: नए वर्ष के पहले माह में आने वाली यह चतुर्थी विशेष मानी जाती है। इस दिन गणेश जी को लड्डू व दूर्वा चढ़ाने से पूरे वर्ष बाधाएँ दूर रहती हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 17 जनवरी 2025, शुक्रवार
- चंद्र उदय: 9:32 PM (लगभग)
- विशेष नाम: सakat चौथ / तिलकुट चौथ
- महत्व: माघ मास के प्रारंभ में आने वाली यह संकष्टी चतुर्थी संकट निवारण के लिए विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। संतान की लंबी आयु और परिवार की समृद्धि हेतु यह व्रत किया जाता है।
भाग 10: फ़रवरी 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 1 फ़रवरी 2025, शनिवार
- मुहूर्त: सुबह 10:55 AM से 12:50 PM
- महत्व: यह चतुर्थी विवाह योग्य युवक-युवतियों के लिए विशेष शुभफलदायक मानी जाती है। गणेश जी का पूजन कर लड्डू और गन्ने का भोग लगाने से वैवाहिक जीवन में सुख और सौहार्द आता है।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 16 फ़रवरी 2025, रविवार
- चंद्र उदय: 9:49 PM (लगभग)
- विशेष नाम: Krishnapingala Sankashti
- महत्व: इस दिन उपवास रखकर रात्रि में चंद्रदर्शन करने से मानसिक तनाव दूर होता है और मन में शांति का संचार होता है।
भाग 11: मार्च 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 3 मार्च 2025, सोमवार
- मुहूर्त: 11:10 AM से 1:15 PM
- महत्व: फाल्गुन मास की विनायक चतुर्थी वसंत ऋतु का आरंभ मानी जाती है। इस दिन गणेश जी की आराधना से जीवन में नई ऊर्जा और सौभाग्य प्राप्त होता है।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 17 मार्च 2025, सोमवार
- चंद्र उदय: 10:06 PM
- विशेष नाम: Vijay Sankashti
- महत्व: विजय संकष्टी का व्रत करने से शत्रु नाश और कार्य सिद्धि की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए उत्तम माना गया है।
भाग 12: अप्रैल 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 1 अप्रैल 2025, मंगलवार
- मुहूर्त: 11:30 AM से 1:20 PM
- महत्व: चैत्र मास की यह चतुर्थी नए वर्ष की शुरुआत (विक्रम संवत) के समीप आने के कारण विशेष शुभ मानी जाती है। इस दिन गणेश जी का पूजन समस्त पारिवारिक कष्ट हरता है।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 16 अप्रैल 2025, बुधवार
- चंद्र उदय: 10:15 PM
- विशेष नाम: Varad Sankashti
- महत्व: वरद का अर्थ है वरदान देने वाली। इस व्रत से भक्तों को संतान सुख और मनोकामना पूर्ति के वरदान मिलते हैं।
भाग 13: मई 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 1 मई 2025, गुरुवार
- मुहूर्त: 10:40 AM से 12:30 PM
- महत्व: वैशाख मास की विनायक चतुर्थी धन-धान्य में वृद्धि और व्यापार में उन्नति के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 16 मई 2025, शुक्रवार
- चंद्र उदय: 10:24 PM
- विशेष नाम: Ekadanta Sankashti
- महत्व: एकदंत स्वरूप की पूजा कर इस व्रत को करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
भाग 14: जून 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 30 मई 2025, शुक्रवार (ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष)
- मुहूर्त: 11:15 AM से 1:05 PM
- महत्व: ग्रीष्म ऋतु में आने वाली यह चतुर्थी विशेष रूप से स्वास्थ्य लाभ के लिए की जाती है।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 14 जून 2025, शनिवार
- चंद्र उदय: 10:40 PM
- विशेष नाम: Kridant Sankashti
- महत्व: यह व्रत जीवन के मनोरथ पूर्ण करने वाला माना जाता है।
भाग 15: जुलाई 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 28 जून 2025, शनिवार (आषाढ़ शुक्ल)
- मुहूर्त: 11:05 AM से 1:00 PM
- महत्व: इस चतुर्थी को मनोकामना चतुर्थी भी कहा जाता है। गणेश जी का पूजन कर मोदक का भोग लगाने से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 14 जुलाई 2025, सोमवार
- चंद्र उदय: 10:55 PM
- विशेष नाम: Lambodara Sankashti
- महत्व: लम्बोदर रूप की आराधना से परिवार में संतोष और सुख-शांति का वास होता है।
भाग 16: अगस्त 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 27 अगस्त 2025, बुधवार (भाद्रपद शुक्ल)
- मुहूर्त: 11:20 AM से 1:25 PM
- महत्व: यही वह चतुर्थी है जिसे हम गणेश चतुर्थी उत्सव के रूप में भव्यता से मनाते हैं। इस दिन गणेश प्रतिमा की स्थापना कर 10 दिनों तक पूजा की जाती है।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 12 अगस्त 2025, मंगलवार
- चंद्र उदय: 11:05 PM
- विशेष नाम: Dhumraketu Sankashti
- महत्व: धूम्रकेतु स्वरूप के पूजन से जीवन में रुके हुए कार्य गति पकड़ते हैं और मानसिक अवरोध दूर होते हैं।
भाग 17: सितंबर 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 26 सितंबर 2025, शुक्रवार
- मुहूर्त: 11:00 AM से 1:10 PM
- महत्व: आश्विन मास की विनायक चतुर्थी को विशेष रूप से गृहकल्याण के लिए माना जाता है। इस दिन की पूजा से घर में सुख-शांति और उन्नति आती है।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 10 सितंबर 2025, बुधवार
- चंद्र उदय: 10:18 PM
- विशेष नाम: Bhalachandra Sankashti
- महत्व: भालचंद्र स्वरूप की आराधना से बच्चों के स्वास्थ्य और पढ़ाई में विशेष लाभ मिलता है।
भाग 18: अक्टूबर 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 25 अक्टूबर 2025, शनिवार
- मुहूर्त: 11:30 AM से 1:35 PM
- महत्व: कार्तिक मास की विनायक चतुर्थी धार्मिक उत्सवों की शुरुआत का संकेत देती है। इस दिन व्रत रखने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 9 अक्टूबर 2025, गुरुवार
- चंद्र उदय: 10:08 PM
- विशेष नाम: Vakratunda Sankashti
- महत्व: वक्रतुंड गणेश की पूजा से कार्यों में आई रुकावटें समाप्त होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
भाग 19: नवंबर 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 24 नवंबर 2025, सोमवार
- मुहूर्त: 11:10 AM से 1:15 PM
- महत्व: मार्गशीर्ष मास की यह चतुर्थी शिक्षा, करियर और बुद्धि वृद्धि के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 8 नवंबर 2025, शनिवार
- चंद्र उदय: 9:48 PM
- विशेष नाम: Gajanan Sankashti
- महत्व: गजानन स्वरूप की पूजा से जीवन में स्थिरता और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
भाग 20: दिसंबर 2025
Vinayaka Chaturthi (शुक्ल पक्ष)
- तिथि: 24 दिसंबर 2025, बुधवार
- मुहूर्त: 11:25 AM से 1:30 PM
- महत्व: पौष मास की विनायक चतुर्थी को वर्ष की अंतिम चतुर्थी माना जाता है। इस दिन की पूजा से पूरे वर्ष की बाधाओं का निवारण और अगले वर्ष के लिए मंगल कामनाएँ की जाती हैं।
Sankashti Chaturthi (कृष्ण पक्ष)
- तिथि: 7 दिसंबर 2025, रविवार
- चंद्र उदय: 9:35 PM
- विशेष नाम: Siddhivinayak Sankashti
- महत्व: सिद्धिविनायक स्वरूप की आराधना से भक्तों को समस्त सिद्धियाँ और मनोकामनाओं की पूर्ति का वरदान मिलता है।
निष्कर्ष
2025 में आने वाली सभी 24 चतुर्थियाँ (12 विनायक और 12 संकष्टी) अपने-अपने रूप में विशेष महत्व रखती हैं। श्रद्धा और भक्ति से किया गया व्रत जीवन के संकट दूर कर सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।