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परिचय
भारतीय संस्कृति में हर कार्य से पहले सही समय का चयन करना बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। विवाह, गृह प्रवेश, यात्रा, व्यवसाय या पूजा-पाठ – हर कार्य तभी सफल माना जाता है जब वह शुभ मुहूर्त में किया जाए। इसी शुभ-अशुभ समय को जानने के लिए पंचांग में कई विधियाँ बताई गई हैं, जिनमें से एक प्रमुख विधि है चौघड़िया।
चौघड़िया क्या है?
‘चौ’ का अर्थ है चार और ‘घड़ी’ का अर्थ है समय की इकाई। पुराने समय में एक घड़ी 24 मिनट की मानी जाती थी। इस प्रकार चार घड़ी यानी लगभग 96 मिनट (1 घंटे 36 मिनट) का समय एक चौघड़िया कहलाता है।
- पूरे दिन (सूर्योदय से सूर्यास्त) को 8 चौघड़ियों में बाँटा जाता है।
- इसी तरह रात (सूर्यास्त से सूर्योदय) को भी 8 चौघड़ियों में विभाजित किया जाता है।
- हर चौघड़िया का अपना नाम और गुणधर्म होता है — कुछ शुभ होते हैं, कुछ अशुभ।
चौघड़िया के प्रकार और उनके फल
चौघड़िया कुल मिलाकर 7 प्रकार के होते हैं:
- अमृत (सबसे शुभ)
- सभी कार्यों के लिए उत्तम।
- विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार की शुरुआत के लिए श्रेष्ठ।
- लाभ (शुभ)
- लाभ, धन और उन्नति से जुड़े कार्यों के लिए अच्छा।
- नया बिज़नेस शुरू करने या निवेश करने के लिए उत्तम।
- चर (शुभ)
- यात्रा, स्थान परिवर्तन और नए कार्य के आरंभ के लिए उचित।
- शुभ (मध्यम शुभ)
- धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए अच्छा।
- रोग (अशुभ)
- स्वास्थ्य संबंधी कष्ट और विवाद बढ़ाने वाला।
- इस समय नया काम शुरू न करें।
- काल (अशुभ)
- अड़चनें, हानि और रुकावटें देने वाला।
- इस समय बड़े कार्य या निवेश से बचें।
- उद्वेग (अशुभ)
- मानसिक तनाव और विघ्न पैदा करने वाला समय।
दिन का चौघड़िया क्रम
दिन में चौघड़िया का क्रम हमेशा इस प्रकार रहता है:
चर → लाभ → अमृत → काल → शुभ → रोग → उद्वेग → चर
(सूर्योदय से शुरू होकर हर 1.5 घंटे में नया चौघड़िया बदलता है।)
रात्रि का चौघड़िया क्रम
रात्रि के चौघड़िया का क्रम अलग होता है:
लाभ → अमृत → काल → शुभ → रोग → उद्वेग → चर → लाभ
(सूर्यास्त से शुरू होकर हर 1.5 घंटे में नया चौघड़िया बदलता है।)
चौघड़िया का महत्व
- बिना पंचांग देखे भी जल्दी से शुभ-अशुभ समय जान सकते हैं।
- यात्रा आरंभ करने, धन लेन-देन या पूजा के लिए सरल मार्गदर्शन।
- ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आज भी इसका व्यापक प्रयोग होता है।
- इसे मिनटों में मुहूर्त जानने की सबसे आसान पद्धति माना जाता है।
चौघड़िया का प्रयोग कैसे करें?
- अपने शहर का सूर्योदय और सूर्यास्त समय पता करें।
- सूर्योदय से सूर्यास्त तक का कुल समय 8 बराबर भागों में बाँट लें (हर भाग लगभग 1.5 घंटे का)।
- ऊपर बताए गए दिन के चौघड़िया क्रम के अनुसार नाम लगाएँ।
- सूर्यास्त से अगले सूर्योदय तक का समय 8 बराबर भागों में बाँटें और रात्रि क्रम के अनुसार नाम दें।
- जिस समय आप कार्य करना चाहते हैं, देखें वह चौघड़िया शुभ है या अशुभ।
शुभ चौघड़िया कौन से हैं?
- अमृत, लाभ और चर – सबसे अधिक शुभ माने जाते हैं।
- शुभ – मध्यम शुभ माना जाता है।
- रोग, काल और उद्वेग – अशुभ हैं, इनसे बचना चाहिए।
चौघड़िया और आधुनिक जीवन
आज भी कई लोग रोज़ाना अखबार, टीवी और मोबाइल एप के जरिए चौघड़िया देखते हैं।
- यात्री बस/ट्रेन पकड़ने से पहले चौघड़िया देखते हैं।
- व्यापारी नया सौदा करने से पहले शुभ चौघड़िया चुनते हैं।
- गृहिणियाँ पूजा या व्रत की शुरुआत शुभ चौघड़िया में करती हैं।
निष्कर्ष
चौघड़िया केवल समय देखने की विधि नहीं है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों की समय-गणना और जीवन प्रबंधन की गहरी समझ का प्रमाण है। अगर हम इसे सही ढंग से समझें और प्रयोग करें तो बिना बड़े ज्योतिषीय गणना के भी अपने दैनिक जीवन में शुभ-अशुभ का ध्यान रख सकते हैं।