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परिचय
हनुमान जी हिन्दू धर्म के सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं। उन्हें भगवान शिव का रुद्रावतार, वायु पुत्र और श्रीराम भक्त के रूप में जाना जाता है। उनके अद्वितीय बल, बुद्धि, भक्ति और अमरता के पीछे अनेक देवी‑देवताओं के वरदान हैं। जन्म से लेकर रामायण काल तक, हनुमान जी को असंख्य शक्तियाँ और सिद्धियाँ प्राप्त हुईं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि हनुमान जी को किसने क्या‑क्या वरदान दिए और उनका क्या महत्व है।
1. वायु देव का वरदान (जन्मकाल)
हनुमान जी वायु देव के अंश से जन्मे। वायु देव ने उन्हें वरदान दिया:
- असीम बल और वेग प्राप्त होगा।
- किसी भी परिस्थिति में उनका जीवन सुरक्षित रहेगा।
- संसार में वायु रहने तक वे अजर‑अमर रहेंगे।
महत्व:
इसी कारण उन्हें वायुपुत्र कहा जाता है और उनकी फुर्ती व वेग अतुलनीय माने जाते हैं।
2. शिव जी का वरदान
भगवान शिव स्वयं हनुमान जी के अवतार माने जाते हैं। उन्होंने हनुमान जी को वरदान दिया:
- अष्टसिद्धि और नवनिधि का स्वामी होना।
- भक्तों के संकट हरने की शक्ति।
- दिव्य ज्ञान और अद्वितीय पराक्रम।
महत्व:
हनुमान जी को “संकट मोचन” कहने का यही कारण है।
3. ब्रह्मा जी का वरदान
ब्रह्मा जी ने हनुमान जी को दिया:
- अजेय और अभय होना।
- अस्त्र-शस्त्र से नष्ट न होना।
- अनुपम बुद्धि और वाक् शक्ति।
महत्व:
हनुमान जी को ब्रह्म ज्ञान और अप्रतिम विवेक का स्वामी बनाया।
4. इन्द्र देव का वरदान
बाल्यकाल में सूर्य को फल समझकर निगलने पर इन्द्र ने वज्र से प्रहार किया, लेकिन बाद में प्रसन्न होकर कहा:
- वज्र का असर समाप्त हो जाएगा।
- हनुमान जी अजेय और अमर रहेंगे।
महत्व:
हनुमान जी का शरीर वज्र समान कठोर बना।
5. वरुण देव का वरदान
वरुण देव ने आशीर्वाद दिया:
- जल में रहने वाले किसी भी जीव या तत्व से हनुमान जी को हानि नहीं होगी।
- वे जल में निर्बाध गति से विचरण कर सकेंगे।
6. अग्नि देव का वरदान
अग्नि देव ने वरदान दिया:
- अग्नि कभी उन्हें जला नहीं पाएगी।
महत्व:
लंका दहन के समय हनुमान जी को अग्नि से कोई हानि नहीं पहुँची।
7. यमराज का वरदान
यमराज ने कहा:
- मृत्यु कभी हनुमान जी को स्पर्श नहीं कर सकेगी।
- वे चिरंजीव रहेंगे।
8. कुबेर का वरदान
कुबेर ने हनुमान जी को दिया:
- दिव्य धन और संपदा का आशीर्वाद।
- उनके पास सदैव ऐश्वर्य का भंडार रहेगा।
9. सूर्य देव का वरदान
सूर्य देव, जो हनुमान जी के गुरु भी थे, ने कहा:
- अद्वितीय ज्ञान और शास्त्रों की गहन विद्या का वरदान।
- प्रकाशमान और तेजस्वी होने का आशीर्वाद।
10. ऋषियों का शाप और वरदान
- बचपन में शरारतों के कारण ऋषियों ने उन्हें शक्ति विस्मृति का शाप दिया – वे अपनी शक्तियाँ भूल जाएंगे।
- परंतु वरदान दिया कि जब कोई उनकी शक्तियाँ याद दिलाएगा, तब वे जाग्रत होंगी।
- यही कारण है कि जामवंत ने सीता खोज के समय उन्हें उनकी शक्ति स्मरण कराई।
11. श्रीराम का वरदान
श्रीराम ने हनुमान जी से कहा:
“जब तक मेरा नाम रहेगा, तेरी पूजा होगी। जहाँ मेरा कीर्तन होगा, वहाँ तू उपस्थित रहेगा।”
- हनुमान जी को अमरत्व और भक्तों के बीच सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ।
12. सीता माता का वरदान
सीता माता ने उन्हें आशीर्वाद दिया:
- अक्षय भक्ति और पुण्य।
- भक्तों के जीवन में हनुमान जी की कृपा सदैव बनी रहेगी।
अष्टसिद्धि और नवनिधि का वरदान
हनुमान जी को मिले अष्टसिद्धि (अनिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व) और नवनिधि (धन-सम्पदा की नौ प्रकार की शक्तियाँ) उन्हें ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली देवताओं में स्थापित करती हैं।
निष्कर्ष
हनुमान जी को विभिन्न देवताओं द्वारा दिए गए ये वरदान ही उन्हें भक्तवत्सल, अभेद्य और चिरंजीव बनाते हैं। आज भी भक्त मानते हैं कि संकट के समय “हनुमान चालीसा” या “जय हनुमान ज्ञान गुन सागर” का स्मरण करने से सभी कष्ट मिट जाते हैं।