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परिचय
भारत त्योहारों की भूमि है जहाँ हर पर्व का अपना महत्व, इतिहास और रीति-रिवाज होते हैं। इन्हीं पर्वों में एक विशेष पर्व है करवा चौथ, जिसे विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं। यह व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय है और इसकी धूम पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और मध्यप्रदेश में देखने को मिलती है।
इस व्रत की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि महिलाएँ सूर्योदय से चंद्रमा निकलने तक उपवास रखती हैं और चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत तोड़ती हैं।
करवा चौथ क्या है?
- करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला व्रत है।
- इस दिन महिलाएँ मिट्टी के करवे (घड़े) का उपयोग कर व्रत करती हैं, इसीलिए इसे करवा चौथ कहा जाता है।
- इसे करक चतुर्थी भी कहा जाता है।
- यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।
करवा चौथ 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि – 10 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ – सुबह 6:45 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त – अगले दिन 8:10 बजे
- पूजा का शुभ मुहूर्त – शाम 5:40 से 6:55 बजे तक
- चंद्रोदय समय – रात 8:20 बजे
करवा चौथ का महत्व
- पति की लंबी उम्र के लिए
– इस व्रत से पति के जीवन में स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि बनी रहती है। - पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती
– यह व्रत आपसी प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। - अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद
– मान्यता है कि यह व्रत करने से स्त्री को सदा सुहागिन रहने का वरदान मिलता है। - धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ
– उपवास और पूजा से मन में शुद्धता, धैर्य और भक्ति का भाव जागृत होता है।
करवा चौथ का इतिहास
करवा चौथ का उल्लेख प्राचीन काल से मिलता है। इसका संबंध वीरवती की कथा और महाभारत कालीन द्रौपदी की कथा से भी है। आइए दोनों कथाएँ विस्तार से जानते हैं:
1. वीरवती की कथा
- वीरवती सात भाइयों की इकलौती बहन थी।
- शादी के बाद पहला करवा चौथ आने पर उसने कठोर उपवास रखा।
- दिनभर उपवास रखने से वह बहुत कमजोर हो गई।
- भाइयों को अपनी बहन की हालत देखकर चिंता हुई और उन्होंने छल से दीपक की रोशनी को छलनी से दिखाकर चंद्रमा बता दिया।
- वीरवती ने व्रत तोड़ा और उसके तुरंत बाद उसके पति की मृत्यु हो गई।
- अपनी गलती जानकर वीरवती ने कड़ी तपस्या और भक्ति की, जिससे यमराज प्रसन्न हुए और उसके पति को पुनः जीवन प्रदान किया।
- तब से यह व्रत पति की दीर्घायु के लिए मनाया जाने लगा।
2. द्रौपदी और अर्जुन की कथा
- महाभारत काल में एक बार अर्जुन तपस्या के लिए पर्वत पर चले गए थे।
- उस समय पांडवों पर संकट आया।
- द्रौपदी ने भगवान कृष्ण से समाधान पूछा।
- कृष्ण ने उन्हें करवा चौथ का व्रत करने की सलाह दी।
- द्रौपदी ने व्रत किया और संकट टल गया।
करवा चौथ की पूजा सामग्री
करवा चौथ की पूजा में निम्नलिखित सामग्री का प्रयोग होता है:
- मिट्टी का करवा (पानी से भरा हुआ)
- छलनी (चंद्र दर्शन के लिए)
- दीपक, अगरबत्ती, कपूर
- रोली, कुमकुम, हल्दी, चावल
- सुथनी (छोटा करवा और ढक्कन)
- नारियल, मिठाई, फल
- वस्त्र और श्रृंगार सामग्री
- करवा चौथ व्रत कथा की पुस्तक
करवा चौथ व्रत की विधि
सुबह की तैयारी (सरगी)
- सरगी सास द्वारा दी जाती है।
- इसमें फल, मिठाई, सूखे मेवे, नारियल और श्रृंगार की सामग्री होती है।
- सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करके महिलाएँ व्रत की शुरुआत करती हैं।
दिनभर का उपवास
- दिनभर बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत रखा जाता है।
- महिलाएँ सोलह श्रृंगार करती हैं।
- दिनभर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेशजी का ध्यान करती हैं।
शाम की पूजा और कथा
- शाम को सभी महिलाएँ एकत्र होकर करवा चौथ की पूजा करती हैं।
- मिट्टी के करवे को सजाकर दीपक जलाते हैं।
- व्रत कथा सुनाई जाती है।
- जल से भरे करवे को सात बार एक-दूसरे को घुमाया जाता है।
चंद्र दर्शन और व्रत खोलना
- रात को चंद्रमा निकलने पर छलनी से पहले चंद्रमा फिर पति को देखा जाता है।
- चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत तोड़ा जाता है।
करवा चौथ के वैज्ञानिक कारण
- उपवास से डिटॉक्स – शरीर में विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।
- चंद्रमा की ऊर्जा – चंद्रमा का दर्शन मानसिक शांति और सकारात्मकता देता है।
- भावनात्मक जुड़ाव – पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है।
- ध्यान और संयम – मन और शरीर दोनों संतुलित रहते हैं।
करवा चौथ का आधुनिक रूप
- आजकल पति भी पत्नियों के साथ व्रत रखते हैं।
- सोशल मीडिया पर करवा चौथ की तस्वीरें और वीडियो खूब वायरल होती हैं।
- कई जगह ऑनलाइन पूजा और कथा सुनाने का चलन भी बढ़ गया है।
- अब यह सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि रिश्तों को मजबूत करने का रोमांटिक पर्व बन गया है।
करवा चौथ के FAQs
Q1. क्या अविवाहित लड़कियाँ करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं?
हाँ, कई अविवाहित लड़कियाँ अपने मनचाहे वर के लिए भी यह व्रत रखती हैं।
Q2. व्रत के दौरान पानी पी सकते हैं क्या?
पारंपरिक रूप से यह निर्जला व्रत है, लेकिन स्वास्थ्य के अनुसार कई लोग पानी ले सकते हैं।
Q3. अगर पति दूर हो तो व्रत कैसे करें?
पति की तस्वीर देखकर या वीडियो कॉल पर चंद्रमा देखकर व्रत खोला जा सकता है।
Q4. क्या गर्भवती महिलाएँ यह व्रत रख सकती हैं?
हाँ, परंतु डॉक्टर की सलाह और परिवार के मार्गदर्शन में।
निष्कर्ष
करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती, प्रेम और त्याग का प्रतीक है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में स्त्री के समर्पण और भक्ति का अद्भुत उदाहरण है। आधुनिक युग में इसका स्वरूप बदल गया है, लेकिन इसका मूल भाव आज भी उतना ही पवित्र है।