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आज की तिथि: 17 सितंबर 2025
पक्ष: कृष्ण पक्ष
मास: आश्विन
वार: बुधवार
इंदिरा एकादशी, जिसे पितृ एकादशी भी कहा जाता है, वह दिन है जब भक्त भगवान विष्णु की उपासना और व्रत करके अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना करते हैं। इस दिन किए गए धार्मिक कर्म और तर्पण से पितृदोष समाप्त होता है और आत्मा को सुख-शांति मिलती है।
इंदिरा एकादशी का महत्व
इंदिरा एकादशी का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- पितृदोष निवारण – इस दिन किए गए तर्पण और दान से पितृ दोष समाप्त होते हैं।
- आध्यात्मिक शांति – व्रति का मन और हृदय भगवान में लगा रहता है, जिससे मानसिक शांति और संतुलन मिलता है।
- मोक्ष की प्राप्ति – पद्म पुराण के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत करने से पितरों की आत्मा को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
इंदिरा एकादशी व्रत कथा
महिष्मति नगरी के राजा इन्द्रसेन के पिता नरक में कष्ट भोग रहे थे। राजा ने नारद मुनि से पूछा कि उनके पिता की मुक्ति कैसे संभव है। नारद मुनि ने उन्हें इंदिरा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। राजा ने पूरी भक्ति और विधि के अनुसार व्रत किया, और उनके पिता की आत्मा को शांति और स्वर्गलोक में स्थान प्राप्त हुआ।
कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि पितृदोष का निवारण और पितरों की आत्मा की शांति के लिए भक्तिपूर्ण व्रत और तर्पण अत्यंत प्रभावी हैं।
इंदिरा एकादशी का व्रत विधि
1. उपवास
- इस दिन अनाज, नमक और तामसिक आहार से परहेज करें।
- फल, दूध और हल्का भोजन लिया जा सकता है।
2. पूजा
- सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- दीपक जलाएँ और हवन करें।
- मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।
3. तर्पण और पिंडदान
- पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करें।
- नदी, तालाब या घर में जल प्रवाह कर सकते हैं।
4. दान
- ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को भी दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त
- राहुकाल: सुबह 10:30 – 12:00 बजे
- शुभ पूजा समय: 12:00 – 1:30 बजे
- व्रत प्रारंभ: 17 सितंबर प्रात: 12:21 AM
- व्रत समाप्ति: 17 सितंबर 11:39 PM
- पारण समय: 18 सितंबर प्रात: 6:12 AM – 8:38 AM
इंदिरा एकादशी के लाभ
- पितरों की आत्मा को शांति – पितृ तर्पण से पितरों को मोक्ष मिलता है।
- परिवार में सुख-शांति – व्रति और परिवार में सामंजस्य और सुख-शांति बढ़ती है।
- आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार – व्रत और पूजा से मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
- कर्म फलों की प्राप्ति – दान और सेवा से पुण्य प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
इंदिरा एकादशी केवल व्रत का दिन नहीं, बल्कि यह पितृदोष निवारण, आध्यात्मिक शांति और मोक्ष का अवसर है। इस दिन उपवास, पूजा, तर्पण और दान करने से व्यक्ति और उसके पितरों का जीवन आनंद और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।
इसलिए आज ही अपने घर में इंदिरा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करें और पितरों की आत्मा की शांति के साथ खुद को भी आध्यात्मिक सुख और संतोष दें।