
परिचय
नवरात्रि का आठवाँ दिन समर्पित है माँ महागौरी को। यह स्वरूप देवी के सौंदर्य, शांति, पवित्रता और मोक्षदायिनी शक्ति का प्रतीक है। “महागौरी” नाम दो शब्दों से मिलकर बना है — ‘महान’ + ‘गौरी (अत्यंत श्वेत रूप वाली)’। इनका वर्ण बर्फ, चाँद और कुमुदिनी की तरह उज्ज्वल है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इनके दर्शन मात्र से ही अपने जीवन की सभी बाधाओं और पापों से मुक्त हो जाता है।
नाम का अर्थ और प्रतीकात्मक भाव
- ‘महा’ = महान / सर्वोच्च
- ‘गौरी’ = उज्ज्वल / गौरवर्णा / दिव्य
अर्थात — जो अत्यधिक उज्ज्वल, निर्मल और शुद्ध स्वरूप वाली हों। माँ महागौरी जीवन से अज्ञानता और दुखों का अंधकार दूर करके ज्ञान और शांति का प्रकाश फैलाती हैं।
माँ महागौरी का स्वरूप
- शरीर दूध की तरह श्वेत
- वस्त्र भी सफेद
- चार भुजाएँ:
- दाहिना ऊपर का हाथ — अभय मुद्रा
- दाहिना नीचे का हाथ — त्रिशूल धारण किए
- बायाँ ऊपर का हाथ — डमरू
- बायाँ नीचे का हाथ — वरमुद्रा
- वाहन — वृषभ (सफेद बैल)
इनका शांत और दिव्य स्वरूप यह संदेश देता है —
“अंततः शक्ति का अंतिम सत्य — करुणा और क्षमा ही है।”
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया। वर्षों की तपस्या के कारण उनका शरीर काला हो गया। भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा जल से स्नान कराया, जिससे पार्वती का शरीर पुनः अत्यंत गौरवर्णा हो गया। तभी से वे महागौरी कहलाईं।
नवरात्रि की अष्टमी पर पूजा का महत्व
✅ माँ महागौरी की पूजा से जीवन की शुद्धि होती है
✅ विवाह, संतान, आर्थिक संकट जैसी सभी बाधाएँ दूर होती हैं
✅ अविवाहित कन्याएँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए पूजा करती हैं
✅ भक्त को शांति, समृद्धि और मोक्ष दोनों का आशीर्वाद मिलता है
✅ अंतर्मन के सारे नकारात्मक विचार समाप्त हो जाते हैं
पूजा विधि (Navratri Ashtami Puja Vidhi)
- स्नान कर सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनें।
- पूजा में सफेद फूल, अक्षत, चंदन, धूप और दीप चढ़ाएँ।
- माता को खीर, मालपुआ या मिश्री का भोग लगाएँ।
- कन्या पूजन (कन्याओं को भोजन कराना) करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- नीचे दिया मंत्र जपें।
बीज मंत्र
ॐ ह्रीं महागौर्यै नमः॥
ध्यान मंत्र
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु शुद्धि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माँ महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत हितकारी।
जोजन तुम्हें ध्यावे फल पावे, दुख-विनाशिनी महतारी॥
सफेद वस्त्र और सवारी, हाथ में त्रिशूल धरी॥
शिव संग विराजे तुम गौरी, भक्तन के संकट हरि॥
भक्तों को प्रेम से फल देती, वैराग्य ज्ञान बढाती॥
जय महागौरी जगत हितकारी॥
वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
| पहलू | अर्थ |
|---|---|
| श्वेत वस्त्र और वर्ण | मानसिक शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा |
| वृषभ वाहन | शक्ति के साथ धैर्य का प्रतीक |
| कन्या पूजन | नारी शक्ति और मासूमियत को सम्मान देना |
| खीर / मिश्री भोग | शरीर और मन दोनों को शांत करना |
भक्तों के जीवन में लाभ
✅ मानसिक तनाव दूर
✅ विवाह में आ रही रुकावटें समाप्त
✅ परिवार में शांति
✅ संतान की प्राप्ति / संतान की रक्षा
✅ आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष
निष्कर्ष
माँ महागौरी का स्वरूप हमें यह संदेश देता है कि —
“जीवन की असली विजय बाहरी युद्ध नहीं, बल्कि भीतर की शुद्धि है।”
जो भक्त श्रद्धा से उनकी पूजा करता है, उसका जीवन गंगा जल की तरह निर्मल और उज्ज्वल बन जाता है।