
परिचय
नवरात्रि का नौवाँ दिन समर्पित है माँ सिद्धिदात्री को। वे देवी दुर्गा का अंतिम और सबसे पूर्ण स्वरूप मानी जाती हैं। नाम के अनुसार:
- “सिद्धि” मतलब अलौकिक शक्तियाँ
- “दात्री” मतलब देने वाली
अर्थात जो अपने भक्तों को सभी सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। वे न केवल भौतिक सफलता देती हैं बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की भी दात्री हैं।
स्वरूप
- चार भुजाएँ
- हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल
- सिंह या कमल पर विराजमान
- हंस वाहन भी माना जाता है
- मुख शांत, तेजोमय
- सम्पूर्ण शरीर दिव्य आभा से चमकता है
पौराणिक कथा
शिव जी ने देवी सिद्धिदात्री की आराधना कर समस्त सिद्धियाँ प्राप्त कीं। तभी वे अर्धनारीश्वर रूप में प्रकट हुए — आधा शरीर शिव और आधा देवी। कहा जाता है कि आज भी भगवान शिव देवी के एक भाग के रूप में उनकी शक्ति को धारण करते हैं।
पूजा का महत्व
✅ भौतिक जीवन में सफलता
✅ व्यापार, नौकरी, धन में वृद्धि
✅ आध्यात्मिक शक्तियों की प्राप्ति
✅ रोग, शत्रु और संकट से मुक्ति
✅ घर में शांति और समृद्धि
पूजा विधि (Navratri 9th Day)
- स्नान कर लाल या पीले वस्त्र धारण करें
- माता की मूर्ति या चित्र पर चंदन, अक्षत, पुष्प चढ़ाएँ
- तुलसी या कमल के फूल विशेष प्रिय हैं
- माता को मीठा भोग (खीर, हलवा, सेवई) अर्पित करें
- नौ कन्याओं का पूजन करें (कन्या पूजन)
- मंत्र का जप करें
बीज मंत्र
ॐ ह्रीं सिद्धिदात्र्यै नमः॥
ध्यान मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यामा सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु सिद्धि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
आरती
जय सिद्धिदात्री माँ जय जय अम्बे।
सबकी मनोकामना पूरी कर दे॥
सिंह पर सवार माँ करुणा धारी।
चारों भुजाओं में शंख गदा धारी॥
भक्तों को देती सदा सुख-सम्पत्ति।
जय सिद्धिदात्री माँ सबकी त्राणकर्ती॥
सिद्धियाँ (देवी द्वारा प्रदत्त 8 महा सिद्धियाँ)
| सिद्धि | अर्थ |
|---|---|
| अणिमा | सूक्ष्म रूप धारण करना |
| महिमा | विशाल रूप धारण करना |
| गरिमा | अत्यधिक भारवान होना |
| लघिमा | अत्यंत हल्का होना |
| प्राप्ति | किसी भी स्थान पर पहुँच जाना |
| प्राकाम्य | इच्छानुसार कार्य सिद्ध होना |
| ईशत्व | दूसरों पर अधिकार |
| वशित्व | सबको वश में करना |
लाभ
✅ इच्छा पूर्ति
✅ लक्ष्य में सफलता
✅ आध्यात्मिक उत्थान
✅ रोग नाश
✅ भय का अंत
निष्कर्ष
माँ सिद्धिदात्री वह अंतिम शक्ति हैं जो भक्त को भयमुक्त, सफल और पूर्ण बनाती हैं। उनका स्मरण करने से मन शांति और आत्मबल से भर जाता है। नवरात्रि का समापन इन्हीं की पूजा से होता है।