🌸 अक्षया नवमी 2025: तिथि, महत्व, कथा, पूजा विधि और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

📅 तिथि: शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025
🌕 मास: कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी
🕉️ विशेष नाम: आंवला नवमी / सत्ययुगारंभ दिवस


🪔 परिचय

अक्षया नवमी हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है। “अक्षय” का अर्थ होता है — जो कभी क्षय न हो, यानी जो हमेशा बढ़ता रहे। इस दिन किए गए पुण्य, दान, जप, तप, और स्नान का फल कभी समाप्त नहीं होता।
यह दिन सत्ययुग के आरंभ का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए इसे सत्ययुगारंभ नवमी भी कहते हैं।

इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा तथा आंवले के वृक्ष की आराधना करने का विशेष महत्व है।


📖 अक्षया नवमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2025, दोपहर 01:46 बजे से
  • तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2025, दोपहर 11:28 बजे तक
  • पूजन का शुभ मुहूर्त: 31 अक्टूबर की सुबह 06:15 बजे से 10:00 बजे तक सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

इस दिन कार्तिक मास का विशेष महत्व होने से गंगा स्नान, व्रत, दान और दीपदान करना शुभ फलदायी होता है।


🌿 अक्षया नवमी का धार्मिक महत्व

अक्षया नवमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि अनंत पुण्य की प्राप्ति का दिवस है।
शास्त्रों में कहा गया है कि —

“अक्षये नवमी तिथौ यः स्नानं दानं जपं कुर्यात्।
तस्य पुण्यं न नश्यति, यावत् सागरसंस्थितिः॥”

अर्थात, जो व्यक्ति इस दिन स्नान, दान, या जप करता है, उसका पुण्य तब तक अक्षय रहता है जब तक यह सृष्टि है।

इस दिन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सत्ययुग का प्रारंभ इसी दिन हुआ था। इसलिए इसे सत्ययुग नवमी भी कहा जाता है।


🌳 आंवला नवमी का महत्व

अक्षया नवमी को आंवला नवमी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है।
शास्त्रों में कहा गया है कि आंवला वृक्ष स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप है।

🌼 आंवला पूजा विधि:

  1. प्रातः स्नान कर के व्रत का संकल्प लें।
  2. आंवले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और जल, पुष्प, रोली, चावल अर्पित करें।
  3. आंवले के पेड़ की 7 या 11 बार परिक्रमा करें।
  4. भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पीपल या आंवले के नीचे पूजा करें।
  5. ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना अत्यंत शुभ माना जाता है।

कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन आंवले के नीचे भोजन करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।


📜 अक्षया नवमी की पौराणिक कथा

प्राचीन काल में राजा अम्बरीष नामक एक महान भक्त थे, जो हर वर्ष कार्तिक मास में आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करते थे।
एक बार इस दिन उन्होंने गंगा स्नान के बाद आंवले के नीचे दीपदान और व्रत किया। परिणामस्वरूप उन्हें अक्षय सौभाग्य प्राप्त हुआ।

दूसरी कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा —

“हे देवी! जो भी व्यक्ति कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवले के वृक्ष की पूजा करेगा, मैं सदा उसके घर में निवास करूंगा।”

इसीलिए यह दिन आंवला पूजन और विष्णु आराधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है।


🕉️ अक्षया नवमी व्रत विधि

  1. प्रातःकाल स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. पीले वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. तुलसी दल और आंवला फल भगवान विष्णु को अर्पित करें।
  4. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का 108 बार जाप करें।
  5. दिन भर व्रत रखें और शाम को दीपदान करें।
  6. गरीबों या ब्राह्मणों को भोजन करवाना अत्यंत शुभ होता है।

💫 वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अक्षया नवमी

हिन्दू परंपराओं के पीछे केवल आस्था ही नहीं, विज्ञान भी छिपा है।
आंवला वृक्ष को विज्ञान के अनुसार विटामिन C का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत माना गया है।
इस दिन आंवले का सेवन करने से –

  • शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • रक्त शुद्ध होता है।
  • पाचन शक्ति मजबूत होती है।
  • मानसिक शांति प्राप्त होती है।

अतः यह त्योहार प्रकृति, स्वास्थ्य और अध्यात्म — तीनों का संगम है।


🌺 अक्षया नवमी पर करने योग्य कार्य

  • गंगा या पवित्र नदी में स्नान करें।
  • भगवान विष्णु और लक्ष्मी की आराधना करें।
  • आंवले के वृक्ष की पूजा करें।
  • दीपदान, दान और व्रत रखें।
  • ब्राह्मणों, साधुओं और गरीबों को भोजन कराएं।
  • जल या अन्न का दान करें।

🚫 क्या न करें इस दिन

  • किसी का अपमान या झूठ न बोलें।
  • बुरा विचार, क्रोध या लालच से बचें।
  • किसी जीव या पेड़ को हानि न पहुंचाएं।
  • शराब, मांस, या नशे का सेवन न करें।

🌻 सत्ययुग का आरंभ

शास्त्रों में वर्णित है कि जिस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की, वही दिन कार्तिक शुक्ल नवमी था।
इसलिए इसे सत्ययुगारंभ दिवस कहा गया।
इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य चारों युगों में फल देता है।


🪔 अक्षया नवमी और तुलसी विवाह का संबंध

अक्षया नवमी के बाद आने वाली एकादशी (तुलसी विवाह) से पहले यह पर्व भक्ति और शुद्धता का प्रतीक होता है।
भक्त इस दिन से ही तुलसी विवाह की तैयारी शुरू कर देते हैं।


🧘‍♀️ आध्यात्मिक दृष्टि से महत्व

अक्षया नवमी आत्मा की पवित्रता और कर्म की निरंतरता का प्रतीक है।
यह सिखाती है कि –

“जो कर्म भक्ति और सद्भाव से किया जाए, उसका फल कभी समाप्त नहीं होता।”


🔖 FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. अक्षया नवमी 2025 में कब है?
👉 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को।

Q2. इस दिन किसकी पूजा की जाती है?
👉 भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है।

Q3. इस दिन क्या खाना चाहिए?
👉 व्रत रखने वाले फलाहार लें। आंवले का सेवन विशेष रूप से करें।

Q4. अक्षया नवमी को क्या दान करें?
👉 अन्न, वस्त्र, दीप, स्वर्ण, और जल का दान श्रेष्ठ है।

Q5. क्या महिलाएँ व्रत रख सकती हैं?
👉 हाँ, महिलाएँ इस दिन व्रत रखकर परिवार की समृद्धि और सौभाग्य की कामना करती हैं।


💐 निष्कर्ष

अक्षया नवमी केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं बल्कि वैज्ञानिक, स्वास्थ्य और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस दिन किया गया प्रत्येक पुण्य, जप, तप और दान अक्षय अर्थात् अविनाशी होता है।
इसलिए इस दिन श्रद्धा, भक्ति, और दया भाव से पूजन कर जीवन में समृद्धि और सुख प्राप्त करें।

🌿 “अक्षय पुण्य वही पाता है, जो आंवले के नीचे दीप जलाता है।”

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