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दीपावली माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना का पावन पर्व है। इस दिन दीप जलाना, घर की सफाई करना और पूजा विधि से माँ लक्ष्मी का स्वागत करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
🌸 विशेष पारंपरिक पूजा विधि और नियम
दीपावली की रात्रि में कुछ ऐसे विशेष नियम हैं जिन्हें पालन करने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है 👇
- घी और तेल का दीपक:
दीपावली की रात्रि में दो दीपक अवश्य जलाएँ —- एक घी का दीपक,
- और एक तेल का दीपक।
दोनों दीपक पूरी रात्रि अखंड (बिना बुझाए) जलते रहने चाहिए।
- दीपक रखने की दिशा:
- घी का दीपक उस स्थान पर रखें जहाँ माँ लक्ष्मी जी की पूजा की जा रही है (यानी दाएँ हाथ की ओर)।
- तेल का दीपक पूजा स्थान के बाएँ हाथ की ओर रखें।
- पूजा सामग्री:
दीपावली पूजा में निम्न वस्तुएँ अवश्य रखनी चाहिए —- होली मौली (लाल धागा)
- चंदन
- अबीर-गुलाल
- मेहंदी
- पीले अक्षत (चावल)
- सुंदर पुष्प माला
- कमल के फूल और कमल के गट्टे (5 या 7)
- अमरबेल के टुकड़े (5 या 7)
- सफेदिया (सुपारी)
- पंच हल्दी की गांठें
- हरी मूँग (5 या 7 दाने)
- धनिया के साबुत दाने (खड़ा धनिया)
- थोड़ा सा गुड़
- और गुड़ की बत्ती, जिसे एक छोटी कटोरी में रखें।
- इन वस्तुओं का महत्व:
ये सभी वस्तुएँ माँ लक्ष्मी की पूजा में समृद्धि और शुभता का प्रतीक हैं।
कहा जाता है कि जब ये चीज़ें विधि-विधान से अर्पित की जाती हैं, तो घर में स्थायी लक्ष्मी का वास होता है।
🌺 पूजा का समापन
पूजा पूर्ण होने के बाद माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती करें, प्रसाद बाँटें और दीपक जलाकर घर के हर कोने को रोशन करें।
अगली सुबह अखंड दीपक को शांत करके उसका तेल घर के तुलसी या पीपल के पेड़ में अर्पित करें।
🎇 पूजा के बाद
पूजा के बाद परिवार के साथ मिठाई बाँटें, दीपक जलाकर घर के द्वार पर रखें और माँ लक्ष्मी से घर में सुख-शांति बनाए रखने की प्रार्थना करें।
💫 विशेष टिप्स
- पूजा के समय लाल या पीले वस्त्र पहनना शुभ होता है।
- लक्ष्मी जी को कमल का फूल बहुत प्रिय है।
- खील-बताशा और सिक्के जरूर अर्पित करें।
🌻 निष्कर्ष
दीपावली की पूजा विधि केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि शुद्ध भाव और सकारात्मकता का उत्सव है। श्रद्धा और विश्वास के साथ की गई पूजा जीवन में सुख-समृद्धि लेकर आती है।