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भारत की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है द्वारका नगरी, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था। यह नगरी केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं बल्कि आस्था, विज्ञान और रहस्य का अद्भुत संगम है। पुराणों और महाभारत के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर अपनी लीलाओं को पूर्ण किया तो समुद्र ने इस दिव्य नगरी को अपने भीतर समा लिया। आज भी वैज्ञानिक और भक्त मिलकर इसके रहस्यों की खोज करते हैं।
द्वारका नगरी का परिचय
द्वारका का अर्थ है – “द्वार का नगर” अर्थात समुद्र के किनारे स्थित विशाल द्वारों वाली नगरी। यह गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है।
- कहा जाता है कि यहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा छोड़ने के बाद अपना राज्य स्थापित किया।
- इसे “स्वर्ण नगरी” भी कहा गया क्योंकि यहाँ के महल सोने, चाँदी और रत्नों से सुसज्जित थे।
- द्वारका केवल राजनीतिक केंद्र ही नहीं बल्कि धर्म, कला और संस्कृति का भी प्रमुख स्थल था।
पुराणों और महाभारत में द्वारका का वर्णन
महाभारत के अनुसार
- श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर मथुरा को स्वतंत्र कराया, परंतु लगातार यदुवंश पर आक्रमण होने लगे।
- इसलिए उन्होंने समुद्र किनारे एक सुरक्षित नगरी बनाने का निर्णय लिया।
- विश्वकर्मा जी ने भगवान की इच्छा से सात द्वारों वाली भव्य नगरी का निर्माण किया।
भागवत पुराण में
- यहाँ 16,108 रानियों के लिए महल बनाए गए थे।
- हर महल की भव्यता इतनी अद्भुत थी कि वह किसी स्वर्गलोक से कम नहीं लगता था।
- कहा जाता है कि द्वारका में धर्म, न्याय और समृद्धि का राज्य था।
समुद्र में डूबी द्वारका का रहस्य
पुराणिक कथा
- महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद जब श्रीकृष्ण ने अवतार कार्य पूरा किया, तो वे प्रभास क्षेत्र में बैठे।
- श्रीकृष्ण के देह त्याग के बाद समुद्र ने द्वारका नगरी को अपनी लहरों में समा लिया।
- यह घटना कलियुग की शुरुआत का संकेत मानी जाती है।
रहस्य और आस्था
- भक्त मानते हैं कि द्वारका केवल डूबी नहीं बल्कि वह आज भी समुद्र की गहराइयों में दिव्य लोक के रूप में विद्यमान है।
- वहाँ की गहराइयों में श्रीकृष्ण की ऊर्जा अब भी अनुभव की जा सकती है।
द्वारका पर वैज्ञानिक खोजें
पुरातत्वीय साक्ष्य
1980 के दशक में भारतीय पुरातत्व विभाग ने समुद्र के भीतर शोध किया।
- गोताखोरों और वैज्ञानिकों ने पत्थरों की दीवारें, विशाल स्तंभ और प्राचीन वस्तुएँ खोजीं।
- कुछ संरचनाएँ आधुनिक शहरी योजनाओं जैसी दिखाई दीं।
कार्बन डेटिंग और निष्कर्ष
- इन खोजों की कार्बन डेटिंग से पता चला कि ये अवशेष लगभग 9000 वर्ष पुराने हो सकते हैं।
- इसका अर्थ है कि यह सभ्यता मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं से भी प्राचीन हो सकती है।
- कुछ विद्वान मानते हैं कि यह महाभारत काल की सच्चाई को प्रमाणित करता है।
द्वारका का धार्मिक महत्व
आधुनिक द्वारका
- आज गुजरात में स्थित द्वारकाधीश मंदिर हर भक्त के लिए तीर्थस्थल है।
- मान्यता है कि यह मंदिर उसी स्थान पर बना है जहाँ प्राचीन द्वारका थी।
समुद्र में गोताखोरी और आस्था
- कई श्रद्धालु समुद्र में गोता लगाकर नीचे की ओर जाते हैं।
- कहते हैं कि वहाँ आज भी प्राचीन मंदिरों और दीवारों की झलक मिलती है।
- यह अनुभव भक्तों के लिए अत्यंत दिव्य और अद्भुत होता है।
रहस्य आज भी जीवित
- विज्ञान इसे एक प्राचीन नगरी मानता है जो समय के साथ समुद्र में समा गई।
- लेकिन आस्था इसे भगवान श्रीकृष्ण का अविनाशी लोक मानती है।
- यही कारण है कि द्वारका आज भी दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और ऐतिहासिक रहस्यों में से एक है।
निष्कर्ष
द्वारका नगरी का जलमग्न रहस्य हमें यह संदेश देता है कि इतिहास और अध्यात्म एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। जहाँ विज्ञान इसे सभ्यता का प्रमाण मानता है, वहीं श्रद्धालु इसे भगवान श्रीकृष्ण की अमर लीला का प्रत्यक्ष साक्ष्य समझते हैं। समुद्र के भीतर छिपी यह नगरी आज भी हमें याद दिलाती है कि सत्य कभी नष्ट नहीं होता, वह केवल रूप बदलकर विद्यमान रहता है।