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प्रस्तावना
कैलाश पर्वत, जिसे विश्व का आध्यात्मिक केंद्र कहा जाता है, हिमालय की गोद में स्थित है। इसे भगवान शिव का निवास माना जाता है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां की परिक्रमा (Kailash Kora) करने के लिए आते हैं। यह परिक्रमा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जीवन बदल देने वाला अनुभव भी प्रदान करती है।
भाग 1: कैलाश पर्वत का महत्व
- कैलाश पर्वत को चार धर्मों में पवित्र माना गया है – हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन।
- हिंदू मान्यता के अनुसार, यह भगवान शिव का निवास है।
- जैन धर्म में इसे अष्टापद कहा जाता है, जहाँ प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने मोक्ष प्राप्त किया।
- बौद्ध इसे मेरु पर्वत मानते हैं, जबकि बोन धर्म में यह ब्रह्मांड का केंद्र है।
भाग 2: परिक्रमा का मार्ग
- कुल परिक्रमा लगभग 52 किलोमीटर की है।
- इसे पूरा करने में आमतौर पर 3 दिन लगते हैं।
- मार्ग तीन हिस्सों में बंटा है:
- दिरापुक मठ तक पहला दिन – लगभग 18 किमी की यात्रा।
- डोल्मा ला पास – सबसे कठिन और ऊंचा बिंदु (5630 मीटर)।
- जुतुलपुक मठ से यमद्वार – लगभग 14 किमी की उतराई।
भाग 3: वैज्ञानिक और प्राकृतिक दृष्टि
- ऊंचाई 20,000 फीट से अधिक होने के कारण यहाँ ऑक्सीजन बेहद कम होती है।
- मौसम अचानक बदलता है – तेज हवाएं, बर्फबारी और कड़ाके की ठंड।
- कई यात्री यहाँ ध्यान लगाकर मानसिक शांति और ऊर्जा का अनुभव करते हैं।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, कैलाश का आकार पिरामिड जैसा है, जिससे यह एक शक्तिशाली ऊर्जा केंद्र बनता है।
भाग 4: आध्यात्मिक अनुभव
- परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हुए चलते हैं।
- यहाँ के झरनों और झीलों का जल अमृत समान माना जाता है, विशेषकर मानसरोवर झील।
- कई साधक मानते हैं कि यह यात्रा व्यक्ति के कर्म बंधनों को तोड़ देती है।
भाग 5: कैसे करें तैयारी?
- शारीरिक फिटनेस: कम से कम 2-3 महीने पहले से ट्रेकिंग और योग का अभ्यास।
- आवश्यक सामान: गर्म कपड़े, ऑक्सीजन सिलेंडर, मेडिकेशन, ड्राई फ्रूट्स।
- मानसिक तैयारी: श्रद्धा, धैर्य और ध्यान का अभ्यास जरूरी।
- अनुमति और वीजा: यह यात्रा नेपाल या तिब्बत के रास्ते होती है, इसलिए सरकारी परमिट जरूरी है।
भाग 6: मान्यताएं और रहस्य
- कहते हैं कि जो कैलाश की परिक्रमा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- कई साधु मानते हैं कि परिक्रमा पूरी करने के बाद जीवन में नकारात्मकता समाप्त हो जाती है।
- तिब्बती बौद्ध परंपरा में इसे कर्म शुद्धिकरण की यात्रा कहा गया है।
भाग 7: परिक्रमा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
- ऊंचाई की वजह से कई लोगों को हाई एल्टीट्यूड सिकनेस हो सकती है।
- हर दिन धीरे-धीरे चलना और पर्याप्त पानी पीना जरूरी है।
- स्थानीय गाइड और याक (Yak) का सहारा लेना सुरक्षित रहता है।
भाग 8: निष्कर्ष
कैलाश पर्वत की परिक्रमा केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि जीवन का आध्यात्मिक अनुभव है। जो भी व्यक्ति इसे करता है, वह न केवल प्रकृति की अद्भुत सुंदरता देखता है, बल्कि अपने भीतर के ईश्वर को भी महसूस करता है। यह यात्रा जीवन को नई दिशा और शांति देती है।