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दीपावली के पाँचवें दिन मनाई जाने वाली लाभ पंचमी को “लाभ पंचम” या “सौभाग्य पंचमी” भी कहा जाता है। यह दिन व्यापारियों, उद्यमियों और धन-संपन्नता की कामना करने वालों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
यह तिथि कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी को आती है और दीपावली पर्व की समापन तिथि मानी जाती है।
📅 लाभ पंचमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: लाभ पंचमी रविवार, 26 अक्टूबर, 2025 को है।
- पंचमी तिथि का प्रारंभ: 26 अक्टूबर, 2025 को सुबह 3:48 बजे।
- पंचमी तिथि का समापन: 27 अक्टूबर, 2025 को सुबह 6:04 बजे।
- पूजा का शुभ मुहूर्त: 26 अक्टूबर, 2025 को सुबह 6:41 बजे से 10:29 बजे तक।
लाभ पंचमी को सौभाग्य पंचमी और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्यापारी वर्ग दिवाली की छुट्टियों के बाद अपनी दुकानें और व्यवसाय फिर से शुरू करते हैं।
इस दिन व्यापारी अपने खाते-बही (लेजर), नया व्यवसाय, और नया स्टॉक शुभ मुहूर्त में प्रारंभ करते हैं।
💰 लाभ पंचमी का धार्मिक और व्यावसायिक महत्व
- व्यापारिक दृष्टि से:
लाभ पंचमी को व्यापारी वर्ग “नए वर्ष की शुरुआत” मानता है। कई व्यापारी दीपावली से लाभ पंचमी तक अपने पुराने लेन-देन निपटाते हैं और नए व्यापार की शुरुआत करते हैं। - धार्मिक दृष्टि से:
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु, माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है और रुका हुआ धन लौट आता है। - आध्यात्मिक दृष्टि से:
यह दिन केवल धन लाभ का प्रतीक नहीं बल्कि “आत्मिक लाभ” का भी संकेत देता है – यानी अच्छे कर्मों, अच्छे विचारों और अच्छे संबंधों में वृद्धि।
🕉️ लाभ पंचमी पूजा विधि
🔸 पूजा सामग्री:
धूप, दीपक, चावल, हल्दी, कुमकुम, फूल, फल, मिठाई, सिक्के, लाल कपड़ा, नए बही-खाते।
🔸 पूजा विधि:
- घर या दुकान की सफाई कर शुभ रंगोली बनाएं।
- पूजा स्थल पर लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- लाल कपड़े पर नया बही-खाता रखें और उस पर “ॐ श्री गणेशाय नमः” और “शुभ लाभ” लिखें।
- दीप जलाकर भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें।
- व्यापारिक खातों पर हल्दी और अक्षत का तिलक लगाएँ।
- परिवार के सदस्यों या कर्मचारियों में मिठाई बांटें और नए कार्य की शुरुआत करें।
🌿 लाभ पंचमी का आध्यात्मिक संदेश
“लाभ” केवल धन से नहीं मापा जाता।
इस दिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि –
“सच्चा लाभ वही है, जो जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाए।”
इसलिए लाभ पंचमी पर केवल भौतिक लाभ की नहीं, बल्कि आध्यात्मिक लाभ की भी प्रार्थना करनी चाहिए।
📖 पौराणिक कथा (संक्षेप में)
कथाओं के अनुसार, दीपावली की रात्रि को माँ लक्ष्मी पृथ्वी पर धन वर्षा करती हैं, लेकिन जो भक्त लाभ पंचमी के दिन फिर से उनका आवाहन करते हैं, उनके घर लक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करती हैं।
इसलिए व्यापारी इस दिन को “स्थायी लक्ष्मी आगमन दिवस” मानते हैं।
🪙 लाभ पंचमी से जुड़े प्रमुख कार्य
- नया व्यापार आरंभ करना
- नया लेखा-जोखा लिखना
- निवेश या संपत्ति खरीदना
- व्यापारिक मीटिंग या डील फाइनल करना
- माता लक्ष्मी और गणेश जी की विशेष आरती करना
📜 लाभ पंचमी आरती (संक्षिप्त)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
जो कोई तुमको ध्यावत, मनवांछित फल पावत।
तुम बिन सुख न होवे, तन मन धन भव ताते॥
🧧 लाभ पंचमी 2025: प्रमुख बातें संक्षेप में
| विषय | विवरण |
|---|---|
| पर्व का नाम | लाभ पंचमी |
| दिनांक | 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार) |
| पंचमी तिथि | कार्तिक शुक्ल पक्ष |
| प्रमुख देवता | लक्ष्मी जी, गणेश जी |
| विशेषता | व्यापारिक वर्ष का शुभ प्रारंभ |
| लाभ प्रतीक | धन, सौभाग्य और उन्नति |
💫 निष्कर्ष — लाभ पंचमी का सार
लाभ पंचमी न केवल धन लाभ और व्यापारिक उन्नति का पर्व है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि सच्चा लाभ आत्मिक शांति, सदाचार और संतुलन में है।
दीपावली के इस अंतिम दिन, जब हम माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं, तो हमें यह भी संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में ईमानदारी, सद्भावना और परिश्रम से आगे बढ़ें।
“जहाँ सत्य और श्रम का संगम होता है, वहीं सच्चा लाभ मिलता है।”
इसलिए इस लाभ पंचमी पर न केवल धन की, बल्कि सद्गुणों और शुभ कर्मों की वृद्धि का भी संकल्प लें।
माँ लक्ष्मी और गणेश जी की कृपा से आपके जीवन में सदैव समृद्धि, शांति और शुभ लाभ बना रहे। 🪔✨