
⭐ परिचय
नवरात्रि का सातवां दिन समर्पित है माँ कालरात्रि को, जिन्हें विश्व की सबसे प्रचंड और शक्तिशाली देवी माना जाता है। उनका नाम ही बताता है—
- काल = समय या मृत्यु
- रात्रि = अंधकार या विनाश
अर्थात जो स्वयं मृत्यु और अंधकार का नाश कर दे — वही हैं कालरात्रि।
यह देवी स्वरूप जितना भयंकर दिखता है, उतना ही कल्याणकारी और संरक्षक भी है।
पुराणों में इन्हें शत्रुओं और बाधाओं का संहार करने वाली, तथा भक्तों को निर्भयता देने वाली माता कहा गया है।
कहते हैं — “जो भी माँ कालरात्रि की शरण में आए, उसे तीनों लोकों में कोई भय नहीं रहता।”
🌑 माता कालरात्रि का स्वरूप
उनका वर्ण काजल समान गहरा श्याम है।
- केश खुले हुए
- गले में खड़ी हुई बिजली जैसी चमक
- गर्दन से रक्त टपकता हार
- तीन गोल नेत्र
- हाथों में वज्र (तड़ित), खड्ग (तलवार), वज्र और वरमुद्रा
- वाहन — गर्दभ (गधा)
उनका भयंकर स्वरूप दर्शाता है कि —
“अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, माता की शक्ति उसे नष्ट कर देती है।”
📜 पौराणिक कथा
एक बार शुंभ-निशुंभ नामक राक्षसों ने तीनों लोकों पर आधिपत्य जमा लिया।
देवता परेशान होकर देवी चामुंडा की शरण में गए।
देवी ने कालरात्रि रूप धारण किया और युद्धभूमि में उतरीं।
उनके आते ही —
- आकाश कांप उठा
- राक्षस भयभीत हो भागने लगे
- निशुंभ और शुंभ के सेनापति रक्तबीज को कोई मार नहीं सकता था, क्योंकि उसकी बूंद से नया राक्षस जन्म लेता था।
तब माँ कालरात्रि ने रक्तबीज का पूरा रक्त स्वयं पी लिया और उसकी शक्ति समाप्त कर दी।
इसलिए उन्हें रक्तबीज संहारी भी कहते हैं।
🌟 नवरात्रि की सप्तमी पर पूजा का महत्व
माँ कालरात्रि की पूजा से —
✅ शत्रु, भूत-प्रेत, जादू-टोना नष्ट हो जाते हैं
✅ भय और मानसिक तनाव समाप्त होता है
✅ अचानक आने वाली दुर्घटनाओं से रक्षा होती है
✅ जीवन में आत्मविश्वास और साहस की प्राप्ति होती है
✅ आध्यात्मिक साधना में सहज सफलता मिलती है
जो साधक इस दिन सच्चे मन से माता की आराधना करे, उसके जीवन से हर प्रकार का अंधकार मिट जाता है।
🪔 पूजा विधि (Navratri 7th Day Puja Vidhi)
- प्रातः स्नान कर लाल या काले वस्त्र धारण करें
- पूजा स्थान में माता का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें
- धूप, दीया, कुमकुम, चंदन, गंध, पुष्प अर्पित करें
- माता को गुड़ और शहद का भोग लगाना शुभ माना जाता है
- नीचे दिया मंत्र 108 बार जपना अत्यंत फलदायी होता है
🔱 बीज मंत्र
ॐ क्रीं कालरात्र्यै नमः॥
🧘♀️ ध्यान मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णि तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजाक्रान्ता कालरात्रिर्भयंकरी॥
🙏 स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
🔥 माँ कालरात्रि की आरती
जय-जय-जय कालरात्रि माता।
सब पर करुणा की दृष्टि धाता॥
भक्तों की तुम राखो लाज।
महाकाली हो तुम कृपाल॥
सिंहवाहिनी महिमा न्यारी।
दुष्ट दलन करि सुर सवारी॥
भय हरती जन की सब पीड़ा।
दुर्गा रूप भक्तों की लीला॥
जय-जय-जय कालरात्रि माता॥
🧠 वैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टिकोण
- उनका भयंकर रूप यह दर्शाता है कि भय का सामना ही भय को समाप्त करता है
- उनका वाहन गधा (गर्दभ) — जो सामान्य और उपेक्षित पशु है, यह बताता है कि भगवान सभी में समान हैं, चाहे साधारण हो या विशिष्ट
- रात (अंधेरा) के समय उनकी पूजा — मन के अंधकार (भय, अवसाद) को मिटाने का प्रतीक
- गुड़ और शहद प्रिया — मधुरता और पाचन शक्ति दोनों को बढ़ाते हैं, शरीर और मन को स्थिर करते हैं
✨ भक्तों के जीवन में लाभ
| लाभ | कार्य |
|---|---|
| भय नाश | किसी भी प्रकार के डर (भूत, बाधा, मानसिक फोबिया) से रक्षा |
| सफलता | बाधाओं और रुकावटों का अंत |
| आत्मविश्वास | अंदर से शक्ति और साहस की वृद्धि |
| रक्षा कवच | दुर्घटनाओं और विपत्तियों से सुरक्षा |
| आध्यात्मिक जागरण | साधना में प्रगति, ध्यान में स्थिरता |
✅ निष्कर्ष
माँ कालरात्रि हमें यह संदेश देती हैं कि —
“जीवन में चाहे कितना भी अंधकार हो, यदि माँ की शरण में आ जाएँ तो प्रकाश अवश्य मिलेगा।”
उनका स्वरूप भयंकर भले ही लगे, परंतु वे भक्तों के लिए अत्यंत दयालु और कल्याणकारी हैं।
जो भी हर रात सोने से पहले “ॐ क्रीं कालरात्र्यै नमः” जप करता है, उसका मन शांत होता है और भय समाप्त होता है।