जी हाँ, मराठी महिने (Marathi Months) महाराष्ट्र में उपयोग किए जाने वाले हिंदू पंचांग के अनुसार होते हैं, जो चंद्र मास पर आधारित होते हैं। ये हिंदी पंचांग जैसे ही होते हैं, पर कुछ उच्चारण और परंपराएं अलग होती हैं।

Table of Contents
🔰 भूमिका: मराठी पंचांग क्या है?
मराठी पंचांग महाराष्ट्र और मराठीभाषी समुदायों में उपयोग किया जाने वाला हिंदू चंद्र पंचांग है। यह पंचांग न केवल धार्मिक कार्यों, व्रतों और त्योहारों के निर्धारण के लिए उपयोगी होता है, बल्कि यह प्राकृतिक घटनाओं, ऋतुओं और खगोलीय गतियों पर आधारित एक कालगणना प्रणाली भी है। इसमें महीने, तिथियाँ और त्यौहार चंद्रमा की गति के अनुसार तय किए जाते हैं।
🌕 1. चंद्र मास आधारित प्रणाली (Lunar Calendar System)
मराठी पंचांग पूर्णतः चंद्रमा के गति चक्र पर आधारित होता है।
इसमें एक माह = पूर्णिमा से पूर्णिमा या अमावस्या से अमावस्या तक की अवधि मानी जाती है। हर महीने में लगभग 29.5 दिन होते हैं।
हर मास दो पक्षों में विभाजित होता है:
- शुक्ल पक्ष (चंद्र वृद्धि काल): अमावस्या के बाद पूर्णिमा तक
- कृष्ण पक्ष (चंद्र क्षय काल): पूर्णिमा के बाद अमावस्या तक
प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियाँ होती हैं:
- प्रतिपदा (1st)
- द्वितीया (2nd)
- तृतीया (3rd)
- चतुर्थी (4th)
- पंचमी (5th)
- षष्ठी (6th)
- सप्तमी (7th)
- अष्टमी (8th)
- नवमी (9th)
- दशमी (10th)
- एकादशी (11th)
- द्वादशी (12th)
- त्रयोदशी (13th)
- चतुर्दशी (14th)
- पूर्णिमा / अमावस्या (15th)
👉 हर तिथि का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व होता है। जैसे – एकादशी व्रत, चतुर्थी गणेश पूजन, पूर्णिमा/अमावस्या तांत्रिक साधनाओं के लिए।
📅 2. अंग्रेजी कैलेंडर (Gregorian Calendar) से तुलना
तत्व | मराठी पंचांग | अंग्रेजी कैलेंडर (Gregorian) |
---|---|---|
आधार | चंद्रमा की गति | सूर्य की गति |
महीने की लंबाई | ~29.5 दिन | 30 या 31 दिन (फरवरी = 28/29 दिन) |
वर्ष की लंबाई | ~354 दिन | 365/366 दिन |
लीप एडजस्टमेंट | अधिमास (हर 2.5–3 साल में) | हर 4 साल में लीप ईयर |
धार्मिक उपयोग | त्योहार, व्रत, मुहूर्त निर्धारण | केवल दिन/तारीख रिकॉर्ड हेतु |
भाषाएँ | संस्कृत/मराठी | अंग्रेज़ी |
👉 महत्वपूर्ण अंतर:
- अंग्रेजी कैलेंडर स्थायी (fixed) है, जबकि मराठी पंचांग गतिक (dynamic) है — यह चंद्रमा की वास्तविक स्थिति के अनुसार चलता है।
- मराठी पंचांग में हर 2.5–3 वर्षों में एक अधिक मास (पुरुषोत्तम मास) जोड़ा जाता है ताकि यह सूर्य पंचांग से तालमेल बना सके।
🌸 3. मराठी पंचांग का महत्व
- सभी धार्मिक अनुष्ठान, व्रत, विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश इत्यादि कार्य मराठी पंचांग के अनुसार मुहूर्त देखकर किए जाते हैं।
- यह पंचांग भारत की ऋतुओं, खगोल विज्ञान और लोक परंपराओं से घनिष्ठ रूप से जुड़ा है।
- शक संवत् और विक्रम संवत् के अनुसार कालगणना होती है।
📆 12 मराठी महीनों की सूची (टेबल सहित)
(चैत्र से फाल्गुन तक, साथ में इंग्लिश कैलेंडर में अनुमानित समयावधि)
क्रमांक | मराठी महिना | देवनागरी नाम | अंग्रेजी महीनों में अनुमानित अवधि |
---|---|---|---|
1. | Chaitra | चैत्र | मार्च – अप्रैल |
2. | Vaishakh | वैशाख | अप्रैल – मई |
3. | Jyeshtha | ज्येष्ठ | मई – जून |
4. | Ashadha | आषाढ | जून – जुलाई |
5. | Shravan | श्रावण | जुलाई – अगस्त |
6. | Bhadrapad | भाद्रपद | अगस्त – सितंबर |
7. | Ashwin | आश्विन | सितंबर – अक्टूबर |
8. | Kartik | कार्तिक | अक्टूबर – नवंबर |
9. | Margashirsh | मार्गशीर्ष | नवंबर – दिसंबर |
10. | Paush | पौष | दिसंबर – जनवरी |
11. | Magh | माघ | जनवरी – फरवरी |
12. | Phalgun | फाल्गुन | फरवरी – मार्च |
🧭 कुछ विशेष बातें:
- हर मराठी महिना चंद्रमा की अमावस्या से अगली अमावस्या तक चलता है।
- प्रत्येक महीने का धार्मिक, ऋतुजन्य और ज्योतिषीय महत्व होता है।
- उदाहरण:
- चैत्र – नववर्ष की शुरुआत (गुडी पडवा)
- श्रावण – व्रत, शिव पूजा, तंत्र साधना
- कार्तिक – दिवाळी, तुलसी विवाह
- फाल्गुन – होळी, रंगपंचमी
बहुत बढ़िया! अब मैं आपके ब्लॉग के लिए बना रहा हूँ अगला सेक्शन —
🎉 प्रत्येक मराठी महीने में क्या विशेष होता है?
हर मराठी मास में अनेक धार्मिक त्यौहार, व्रत, और संस्कृतिक परंपराएँ मनाई जाती हैं। नीचे हर महीने के साथ उसके प्रमुख उत्सव दिए गए हैं:
1️⃣ चैत्र (Chaitra) – मराठी नववर्ष की शुरुआत
📅 मार्च – अप्रैल
🔹 गुड़ी पड़वा – मराठी नववर्ष का प्रथम दिन
🔹 राम नवमी – श्रीराम का जन्मोत्सव
🔹 चैत्र नवरात्रि – देवी शक्ति की आराधना
🔹 हनुमान जयंती – भक्त शिरोमणि हनुमान का जन्म
2️⃣ वैशाख (Vaishakh) – धार्मिक पुण्य का मास
📅 अप्रैल – मई
🔹 अक्षय तृतीया – शुभ कार्यों की शुरुआत
🔹 परशुराम जयंती
🔹 नरसिंह जयंती – भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार
🔹 गंगोत्री स्थापना व स्नान पर्व
3️⃣ ज्येष्ठ (Jyeshtha) – गर्मी, तप और सेवा का महीना
📅 मई – जून
🔹 वट सावित्री व्रत – पतिव्रता स्त्रियों का पर्व
🔹 गंगा दशहरा – गंगा अवतरण उत्सव
🔹 नरळी पूर्णिमा / रक्षा बंधन की तैयारी
4️⃣ आषाढ (Ashadha) – भक्ति और व्रत आरंभ का मास
📅 जून – जुलाई
🔹 आषाढी एकादशी (देवशयनी) – भगवान विष्णु शयन को जाते हैं
🔹 गुरु पूर्णिमा – गुरुओं को अर्पण
🔹 पंडरपुर यात्रा – विठोबा भक्ति यात्रा (वारकरी परंपरा)
5️⃣ श्रावण (Shravan) – व्रतों और शिवभक्ति का चरम
📅 जुलाई – अगस्त
🔹 श्रावणी सोमवार – शिवजी के लिए उपवास
🔹 नागपंचमी – नागदेवता पूजन
🔹 हरतालिका तृतीया – पार्वती द्वारा शिव को प्राप्त करने का व्रत
🔹 रक्षा बंधन, श्रावण पूर्णिमा
🔹 कृष्ण जन्माष्टमी
6️⃣ भाद्रपद (Bhadrapad) – गणेश उत्सव का महिना
📅 अगस्त – सितंबर
🔹 गणेश चतुर्थी – गणपति आगमन
🔹 अनंत चतुर्दशी – गणपति विसर्जन
🔹 राधाष्टमी, हरतालिका, महालय अमावस्या
7️⃣ आश्विन (Ashwin) – नवरात्रि और विजय का महिना
📅 सितंबर – अक्टूबर
🔹 शारदीय नवरात्रि – 9 दिन की देवी आराधना
🔹 दसरा (विजयादशमी) – रावण वध, शक्ति की विजय
🔹 कोजागिरी पूर्णिमा – अमृत वर्षा की रात
🔹 श्राद्ध पक्ष
8️⃣ कार्तिक (Kartik) – प्रकाश और तुलसी विवाह का मास
📅 अक्टूबर – नवंबर
🔹 धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाळी
🔹 लक्ष्मी पूजन, भाऊबीज
🔹 तुलसी विवाह – तुलसी और विष्णु का पावन मिलन
🔹 देवउठनी एकादशी – विष्णु का जागरण
9️⃣ मार्गशीर्ष (Margashirsh) – धार्मिक कथा और उपासना का समय
📅 नवंबर – दिसंबर
🔹 मार्गशीर्ष गुरुवार व्रत – लक्ष्मी पूजन
🔹 दत्त जयंती – दत्तात्रेय भगवान का उत्सव
🔹 गीता जयंती – श्रीकृष्ण द्वारा गीता उपदेश
🔟 पौष (Paush) – तप और दान का काल
📅 दिसंबर – जनवरी
🔹 पौष पूर्णिमा – स्नान और दान
🔹 संकष्टी चतुर्थी, धनु संक्रांति
🔹 भगवान सूर्य की उपासना
1️⃣1️⃣ माघ (Magh) – उत्सव और स्नान का महीना
📅 जनवरी – फरवरी
🔹 माघ स्नान और मेला (प्रयागराज)
🔹 वसंत पंचमी – सरस्वती पूजन
🔹 माघी पूर्णिमा
1️⃣2️⃣ फाल्गुन (Phalgun) – रंगों और उल्लास का समय
📅 फरवरी – मार्च
🔹 महाशिवरात्रि
🔹 होळी (पूर्णिमा के दिन)
🔹 रंगपंचमी
🔹 फाल्गुन कृष्ण अष्टमी – राधा अष्टमी
यह रहा “📜 मराठी और हिंदी मास में अंतर” का विस्तृत सेक्शन जो आपके मराठी पंचांग ब्लॉग का हिस्सा होगा:
📜 मराठी और हिंदी मास में अंतर
मराठी और हिंदी पंचांग — दोनों ही हिंदू कालगणना प्रणाली पर आधारित हैं, लेकिन इनके बीच कुछ सूक्ष्म किंतु महत्त्वपूर्ण भेद हैं। ये भेद उच्चारण, पद्धति, और परंपराओं से लेकर मासिक पर्वों की तिथियों तक को प्रभावित करते हैं।
🗣️ 1. उच्चारण का अंतर
क्रम | हिंदी मास | मराठी मास |
---|---|---|
1. | चैत्र | चैत्र |
2. | वैशाख | वैशाख |
3. | ज्येष्ठ | ज्येष्ठ |
4. | आषाढ़ | आषाढ |
5. | श्रावण | श्रावण |
6. | भाद्रपद | भाद्रपद |
7. | आश्विन | आश्विन |
8. | कार्तिक | कार्तिक |
9. | मार्गशीर्ष | मार्गशीर्ष |
10. | पौष | पौष |
11. | माघ | माघ |
12. | फाल्गुन | फाल्गुन |
🔸 उच्चारण लगभग समान हैं, लेकिन मराठी भाषा में इनका लहजा भिन्न हो सकता है जैसे आषाढ़ को आषाढ कहा जाता है।
🕉️ 2. पंचांग पद्धति में अंतर
विशेषता | हिंदी पंचांग (उत्तर भारत) | मराठी पंचांग (महाराष्ट्र, कोंकण) |
---|---|---|
मास प्रारंभ | पूर्णिमा से नया मास शुरू होता है | अमावस्या के अगले दिन नया मास |
प्रयोग | उत्तर भारत के राज्य – उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली | महाराष्ट्र, गोवा, कोंकण क्षेत्र |
चंद्र प्रणाली | पूर्णिमांत | अमांत |
पर्व तिथियाँ | कुछ त्योहार एक दिन बाद | त्योहार अमावस्या के अनुसार जल्दी आते हैं |
📌 उदाहरण:
- दिवाली: हिंदी पंचांग में अगले दिन पड़ सकती है, मराठी पंचांग में अमावस्या को ही।
- गणेश चतुर्थी: महाराष्ट्र में विशेष रूप से अमांत प्रणाली से ही मनाई जाती है।
🙏 3. रीति-रिवाजों का अंतर
- व्रत और पर्व:
मराठी समाज में व्रतों का प्रारंभ और समापन अमांत तिथि के अनुसार होता है, जैसे कि हरतालिका तीज, श्रावण सोमवार आदि। - नामकरण परंपरा:
मराठी नामों में मास नामों का भी प्रभाव दिखता है। जैसे “श्रावणी”, “आश्विन”, आदि। - लोक पर्व:
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा नववर्ष का आरंभ माना जाता है, जबकि हिंदी पंचांग में चैत्र प्रतिपदा मुख्य रूप से गणना में आता है, पर गुड़ी पड़वा की परंपरा नहीं होती।
🔍 निष्कर्ष
मराठी और हिंदी पंचांग एक ही चंद्रमा आधारित परंपरा से निकले हैं, फिर भी “अमांत बनाम पूर्णिमांत” पद्धति के कारण इनकी गणना, पर्वों की तिथियाँ और रीति-रिवाजों में स्पष्ट भेद होता है।
👉 यही कारण है कि एक ही हिंदू पर्व दोनों पंचांगों में अलग-अलग दिन पड़ सकता है।
यहाँ “धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व” को विस्तार से समझाया गया है, जो आपके मराठी महीनों पर आधारित ब्लॉग का एक महत्वपूर्ण भाग हो सकता है:
🔮 धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
🌟 1. धार्मिक महत्व (Religious Significance)
मराठी पंचांग, जो चंद्र आधारित होता है, हिंदू धर्म में हर महीने को किसी विशेष देवी-देवता या पर्व से जोड़ता है। ये पर्व केवल सांस्कृतिक नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति और आध्यात्मिक साधना से भी जुड़े होते हैं।
📌 उदाहरण:
- चैत्र: नवसंवत्सर (गुड़ी पड़वा) से वर्ष की शुरुआत मानी जाती है। राम नवमी का पर्व भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
- श्रावण: यह महीना भगवान शिव की उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। व्रत, पूजा, जलाभिषेक और हर सोमवार को विशेष शिव आराधना की जाती है।
- आश्विन: नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। विजयदशमी पर अच्छाई की जीत का उत्सव होता है।
- कार्तिक: कार्तिक स्नान, तुलसी विवाह, और दीपावली जैसे प्रमुख पर्व होते हैं। यह महीना पुण्य अर्जन का काल होता है।
- मार्गशीर्ष: श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है – “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” (मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूं), जिससे इसका महत्व स्पष्ट होता है।
🌌 2. ज्योतिषीय महत्व (Astrological Significance)
मराठी महीनों का गहरा संबंध नक्षत्रों, राशियों और ग्रहों की गति से होता है, जो व्यक्ति के जीवन, स्वास्थ्य, मनोदशा और निर्णयों को प्रभावित करता है।
🌙 चंद्र आधारित गिनती:
- मराठी मास चंद्रमा की स्थिति पर आधारित होते हैं। प्रत्येक मास तब शुरू होता है जब अमावस्या के बाद पहली प्रतिपदा आती है।
- पूर्णिमा और अमावस्या, दोनों को विशेष महत्व प्राप्त है — ये दिन तंत्र, ध्यान और साधना के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।
📈 ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव:
- हर मास में सूर्य किसी विशेष राशि में स्थित होता है जिससे राशियों पर उसका प्रभाव पड़ता है। जैसे:
- श्रावण मास में सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है जो आत्मबल, साहस और नेतृत्व क्षमता को जाग्रत करता है।
- कार्तिक में चंद्रमा का विशेष प्रभाव मन और भावनाओं पर होता है, जिससे यह साधना और भक्ति के लिए उत्तम मास बनता है।
📅 शुभ और अशुभ काल:
- पंचांग के अनुसार हर महीने में विशेष मुहूर्त, एकादशी, पूर्णिमा, संक्रांति, ग्रहण, और नक्षत्र परिवर्तन होते हैं, जिनके अनुसार धार्मिक कार्य, व्रत, विवाह, गृह प्रवेश आदि किए जाते हैं।
🔬 मराठी पंचांग का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
मराठी पंचांग केवल धार्मिक अनुष्ठानों और पर्वों की सूची नहीं है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक ढांचा है जो प्रकृति, ग्रहों की गति, मौसम परिवर्तन और मानव जीवन के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है। आइए इसे वैज्ञानिक नजरिए से समझें:
🧠 1. चंद्रमा आधारित गणना – मानसिक और भावनात्मक प्रभाव
मराठी पंचांग चंद्र मास पर आधारित होता है। चंद्रमा का सीधा संबंध मानव शरीर के जल तत्व और मानसिक स्थिति से होता है। यही कारण है कि अमावस्या और पूर्णिमा को महत्वपूर्ण माना गया है – इन दिनों भावनाओं, नींद और एकाग्रता पर चंद्रमा का विशेष प्रभाव पड़ता है।
🪐 2. नक्षत्र और ग्रह – खगोलीय गणना
मराठी पंचांग में नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति का विस्तृत उल्लेख होता है। कुंभ, मीन, मेष आदि राशियों के साथ-साथ नक्षत्रों (जैसे रोहिणी, मृगशिरा, अश्विनी) के आधार पर शुभ-अशुभ समय, विवाह मुहूर्त, व्रत आदि तय किए जाते हैं।
यह खगोलशास्त्र (astronomy) और ज्योतिष (astrology) का संयोजन है।
🌦️ 3. ऋतु चक्र और कृषि
मराठी पंचांग ऋतुओं के अनुसार महीनों का वर्गीकरण करता है – वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर।
यह प्रणाली किसान समुदाय को यह जानने में सहायता करती है कि कब बोआई करनी है, कब कटाई, और कब कौन-सा त्योहार प्राकृतिक ऊर्जा के साथ मेल खाता है।
उदाहरण:
- आषाढ व श्रावण – वर्षा ऋतु (कृषि का समय)
- कार्तिक व मार्गशीर्ष – ठंडी ऋतु, उपवास और साधना के लिए अनुकूल
🧭 4. पंचांग के पांच तत्व और समय विज्ञान
मराठी पंचांग के पाँच मुख्य घटक:
- तिथि – चंद्रमा की स्थिति
- वार – साप्ताहिक चक्र
- नक्षत्र – तारों का समूह
- योग – शुभ-अशुभ संयोग
- करण – दिन का आधा भाग
इनका संयोजन वैदिक टाइम मैनेजमेंट का हिस्सा है।
🧘♂️ 5. मानसिक संतुलन और साधना
पंचांग अनुसार किए गए व्रत, ध्यान और पूजा मानसिक ऊर्जा को स्थिर करते हैं। जैसे श्रावण मास में उपवास और शिव पूजा शरीर को शुद्ध करती है, वहीं कार्तिक मास का दीपदान प्रकाश और ऊर्जा को संतुलित करता है।
मराठी पंचांग केवल धार्मिक या पारंपरिक मान्यताओं का दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित एक समय नियोजन प्रणाली है, जो व्यक्ति को प्रकृति के साथ तालमेल बैठाकर जीवन को संतुलित और ऊर्जावान बनाती है।
🔚 निष्कर्ष (Conclusion):
मराठी पंचांग केवल तिथियों और त्योहारों की सूची नहीं है, बल्कि यह महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान, धार्मिक परंपरा और आध्यात्मिक अनुशासन का प्रतीक है। यह पंचांग जहाँ एक ओर चंद्र मास आधारित गणना को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर हर महीने के साथ जुड़ी आध्यात्मिक साधनाओं, पर्वों और रीति-रिवाज़ों को जीवंत करता है।
चैत्र से फाल्गुन तक के बारह मराठी महीने, ना केवल जीवन चक्र की प्रतीक हैं, बल्कि वे हमें ऋतुओं, ग्रहों और आत्मचिंतन के बीच संतुलन बनाना सिखाते हैं। धार्मिक पर्व जैसे गुड़ी पड़वा, श्रावण मास के व्रत, नवरात्रि, दिवाळी, तुळशी विवाह इत्यादि हमारी आस्था को और गहरा करते हैं। वहीं पंचांग में नक्षत्र, योग और करण की जानकारी से हमें सही समय पर निर्णय लेने में सहायता मिलती है — चाहे वह पूजा हो, यात्रा हो या कोई नया कार्य आरंभ करना हो।
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