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1. पौराणिक कारण:
📖 महाभारत से संबंध:
- जब जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्प यज्ञ किया था, तब हजारों नाग जलकर भस्म हो गए।
- आस्तिक मुनि ने उस यज्ञ को रोका और नागों को बचाया। उसी दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
🐍 भगवान शेषनाग की पूजा:
- भगवान विष्णु के शैय्या पर जो सर्प हैं, वे शेषनाग हैं। नाग पंचमी पर उन्हीं की पूजा होती है।
🕉️ भगवान शिव और नाग:
- भगवान शिव के गले में नाग वासुकी रहते हैं। नाग पंचमी पर शिव के गले में विराजमान नागों की भी पूजा की जाती है।
2. धार्मिक मान्यता:
- नागों को पृथ्वी के रक्षक, जल के देवता, और कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक माना गया है।
- नाग पंचमी पर पूजा करने से भय, कालसर्प दोष, सर्पदोष और सर्पदंश से रक्षा होती है।
3. लोककथाएं और मान्यताएं:
🐍 सर्पदंश से सुरक्षा:
- ग्रामीण क्षेत्रों में इस दिन नागों को दूध पिलाने, हल्दी-कुमकुम लगाने और पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इससे सर्प कभी हानि नहीं पहुँचाते।
🌾 खेती की रक्षा:
- नागों को भूमि का रक्षक माना गया है। खेती के कीड़े-मकोड़ों को खाने में सर्प मददगार होते हैं, इसलिए किसान इस दिन उनकी पूजा कर आभार जताते हैं।
4. वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
- वर्षा ऋतु में सांप ज़मीन से बाहर निकलते हैं, और सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
- इस दिन नागों की पूजा कर लोगों में दया और सजगता जाग्रत होती है जिससे वे सर्पों को मारते नहीं हैं बल्कि बचाव करते हैं।
🙏 नाग पंचमी कैसे मनाई जाती है?
- घर के दरवाजे पर या दीवार पर नाग देवता का चित्र बनाकर उसकी पूजा की जाती है।
- उन्हें दूध, फूल, हल्दी, कुमकुम, अक्षत अर्पित किए जाते हैं।
- व्रत रखकर नाग पंचमी की कथा सुनी जाती है।
- मिट्टी से नाग की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा की जाती है।
- कुछ जगहों पर सांपों को दूध पिलाने की परंपरा भी है।
🌿 नाग पंचमी का महत्व:
नाग पंचमी हिन्दू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जो श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन लोग नाग देवता की पूजा करके अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा की कामना करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से साँपों को समर्पित होता है, जो हिन्दू धर्म में शक्ति और संरक्षण के प्रतीक माने जाते हैं।
🐍 नाग पंचमी की प्राचीन कथा:
बहुत पुराने समय की बात है, एक गांव में एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। उसके पाँच बेटे थे और वह खेती करके अपना जीवन यापन करता था। एक दिन उसके बेटे खेत में हल चला रहे थे। उसी खेत की ज़मीन में नागों का एक पूरा परिवार रहता था।
जब बेटों ने खेत में हल चलाया, तो गलती से हल की धार से तीन नाग मारे गए। यह देखकर नागों की माँ — नागिन — क्रोध से भर उठी।
रात को नागिन बदला लेने के लिए किसान के घर पहुँची। उसने किसान के चार बेटों को डँस लिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
जब अगली सुबह किसान और उसकी पत्नी को यह भयानक घटना पता चली, तो वे दुःख से बिलख उठे। तभी किसान की पत्नी ने निश्चय किया कि वो नागिन से क्षमा माँगेगी।
वो पंचमी के दिन एक थाली में दूध, फूल और कुशा (घास) लेकर नागिन के बिल के पास गई। उसने सच्चे मन से प्रार्थना की:
“हे नाग माता! हमने जाने-अनजाने में आपके बच्चों को नुकसान पहुँचाया। कृपया हमें क्षमा करें। मेरी गोद सुनी हो गई है। मुझे अपने बच्चों को लौटा दो।”
नागिन ने उसकी श्रद्धा, पश्चाताप और विनम्रता से प्रसन्न होकर उसके चारों बेटों को जीवनदान दे दिया।
तभी से यह विश्वास बना कि जो व्यक्ति श्रावण माह की पंचमी को नागों की पूजा करता है, उसे जीवन में कभी साँपों से भय नहीं होता और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
🙏 नाग पंचमी के दिन क्या करें?
- नाग देवता को दूध, कुशा, फूल, दूब, चावल चढ़ाएं।
- कच्चे दूध से नागों की मूर्ति को स्नान कराएं।
- व्रत रखें और ब्राह्मण को भोजन कराएं।
- साँप को कभी न मारें और ना ही उनका अपमान करें।
📜 संक्षिप्त संदेश:
नाग पंचमी सिर्फ एक पर्व नहीं, यह जीवों के प्रति करुणा, क्षमा और आस्था की भावना का प्रतीक है।
📜 निष्कर्ष:
नाग पंचमी सिर्फ सांपों की पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, जीवन और धर्म के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह पर्व हमें यह भी सिखाता है कि हर जीव का इस सृष्टि में स्थान है, और हमें सबका आदर करना चाहिए।
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