एकादशी
Padmini/Parama Ekadashi – The Supreme Ekadashi of Shravan Month
Table of Contents

1. एकादशी का महत्व: ऊर्जा और उपवास का विज्ञान
एकादशी हर पक्ष की 11वीं तिथि होती है, जब चंद्रमा मन पर विशेष प्रभाव डालता है। इस दिन उपवास से शरीर की ऊर्जा आध्यात्मिक कार्यों में लगती है। अध्यात्मिक साधकों के अनुसार, यह तिथि मन को संयमित करती है और परमात्मा के करीब ले जाती है।
2. श्रावण मास और उसकी विशेषता
श्रावण मास शिवभक्तों और विष्णुभक्तों दोनों के लिए अत्यंत पूजनीय होता है। चंद्रमा का प्रभाव, मानसून की ऊर्जा, और ब्रह्मांडीय कंपन इसे विशिष्ट बनाते हैं। इस मास में किया गया व्रत कई गुना फल देता है।
3. पद्मिनी/परमा एकादशी: क्या अंतर है?
पद्मिनी एकादशी और परमा एकादशी विशेष अवस्था में आती हैं — जब श्रावण मास में एक मासांत दो बार पड़ता है (अधिकमास या पुरुषोत्तम मास)।
- पद्मिनी एकादशी: शुक्ल पक्ष में
- परमा एकादशी: कृष्ण पक्ष में
यह दोनों एकादशी हर साल नहीं आतीं, केवल अधिकमास में ही होती हैं।
4. व्रत तिथि निर्धारण: अद्भुत पंचांग विज्ञान
हिंदू पंचांग में तिथि, नक्षत्र, योग और करण के आधार पर व्रत तिथि तय होती है। अधिकमास में सूर्य और चंद्र की गति के असंतुलन को संतुलित करने के लिए परमा/पद्मिनी जैसी तिथियां जुड़ती हैं।
5. पद्मिनी/परमा एकादशी की पौराणिक कथा
📜 कथा (पद्मिनी एकादशी – ब्रह्मवैवर्त पुराण से)
चंद्रवंशी राजा हरिश्चंद्र जैसा ही एक राजा “कितीरथ” था। उसने पुत्र प्राप्ति के लिए यह व्रत किया और पुण्यफल से उसे महाशक्तिशाली पुत्र प्राप्त हुआ।
📜 कथा (परमा एकादशी – स्कंद पुराण से)
एक बार देवी लक्ष्मी ने स्वयं इस एकादशी का व्रत किया और उसे वरदान मिला कि वह जगतजननी कहलाएंगी।
6. पद्मिनी एकादशी व्रत विधि (Step-by-step)
- सूर्योदय से पहले स्नान करें
- व्रत का संकल्प लें – मानसिक रूप से
- भगवान विष्णु का ध्यान करें – तुलसी पत्र, पीला वस्त्र, दीप
- दिन भर निराहार रहें – फलाहार किया जा सकता है
- हरि नाम संकीर्तन करें
- रात्रि को जागरण – विष्णु सहस्त्रनाम, गीता पाठ
- द्वादशी को ब्राह्मण भोजन और दान
7. परमा एकादशी: दुर्लभ योग और पुण्य
जब पुरुषोत्तम मास पड़ता है (लगभग हर 3 साल में एक बार), तभी यह परमा एकादशी आती है। यह मोक्षदायिनी और समस्त पापों का विनाश करने वाली मानी गई है।
8. पद्मिनी एकादशी का आध्यात्मिक रहस्य
“पद्म” का अर्थ होता है “कमल”, और कमल का संबंध आत्मा की जागृति से है। यह एकादशी योग, ध्यान और आत्मसाक्षात्कार के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।
9. व्रत से मिलने वाला फल: धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस व्रत से:
- धर्म: जीवन में मर्यादा
- अर्थ: समृद्धि
- काम: इच्छापूर्ति
- मोक्ष: चित्त की शुद्धि और ईश्वर प्राप्ति
10. भगवान विष्णु और पद्मिनी एकादशी का संबंध
पद्मिनी और परमा दोनों ही एकादशी भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने का माध्यम हैं। ये तिथियाँ उनके विशेष रूप — नारायण, पुरुषोत्तम और श्रीहरि — को समर्पित होती हैं।
11. इस व्रत को किसे करना चाहिए?
- जो संतान की इच्छा रखते हैं
- विवाह में बाधा हो
- जिनका मन आध्यात्म की ओर है
- पति प्राप्ति या सौभाग्य की इच्छा रखने वाली स्त्रियाँ
12. व्रत के दौरान क्या करें, क्या न करें
✅ करें:
- मंत्र जप
- पाठ, दान
- सच्चाई और संयम
❌ न करें:
- क्रोध, झूठ
- अन्न भोजन
- आलस्य, बुराई
13. ब्रह्मवैवर्त पुराण और विष्णु पुराण में उल्लेख
आलस्य, बुराई
दोनों ग्रंथों में इस व्रत को अत्यंत पुण्यदायी और मुक्ति प्रदान करने वाला बताया गया है। इसमें उल्लेख है कि “जो भी इस व्रत को करता है, उसे नारायण लोक प्राप्त होता है।”
14. पद्मिनी/परमा एकादशी और पति प्राप्ति
पुराणों में उल्लेख है कि जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो रहा हो, वे इस व्रत को करें तो उन्हें योग्य पति की प्राप्ति होती है, जैसे पार्वती को शिव मिले।
15. चमत्कारी व्रतकथाएं और भक्त अनुभव
- उड़ीसा की एक महिला को 10 साल से संतान नहीं थी, पद्मिनी एकादशी व्रत से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई
- एक साधक ने मोक्ष की कामना से यह व्रत किया और जीवनभर ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक सेवा में लीन रहा
16. मनोकामना पूर्ति और परमा तिथि
‘परमा’ यानी परम – इस दिन किया गया व्रत सामान्य एकादशी से कई गुना पुण्य देता है। इसका प्रभाव जीवन के सभी क्षेत्रों में संतुलन लाता है।
17. विज्ञान की दृष्टि से उपवास
व्रत के दिन शरीर डिटॉक्स करता है। कोशिकाएं सक्रिय होती हैं। ऊर्जा का सहेजा गया भाग मस्तिष्क और आत्मचिंतन में लगता है।
18. ब्रह्मचर्य और मानसिक शुद्धि
व्रत का पालन करते समय संयम, ब्रह्मचर्य, और इंद्रिय-नियंत्रण साधक को उच्च मानसिक स्थिति में ले जाता है। यह ध्यान और योग के लिए अनुकूल स्थिति है।
19. एकादशी और चंद्रमा का संबंध
चंद्रमा का मानसिक स्थिति पर प्रभाव वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है। एकादशी के दिन उपवास और ध्यान से मन की हलचल कम होती है।
20. निष्कर्ष: श्रद्धा, शुद्धता और सत्कर्म
पद्मिनी/परमा एकादशी केवल व्रत नहीं, आत्मा की जागृति का अवसर है। यह श्रद्धा, तप, संयम और भक्ति से परम की ओर ले जाती है।
1 thought on “🪷 पद्मिनी/एकादशी(श्रावण) – विशेष पुण्यदायिनी”