
Table of Contents
भाग 1: प्रस्तावना और पंचमुखी हनुमान का परिचय
1. प्रस्तावना: क्यों हनुमान जी का पंचमुखी स्वरूप इतना विशेष है?
भारत की भक्ति परंपरा में हनुमान जी का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वे शक्ति, भक्ति और सेवा के प्रतीक माने जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी का एक विशेष स्वरूप भी है जिसे पंचमुखी हनुमान कहते हैं? इस स्वरूप में हनुमान जी के पाँच चेहरे होते हैं, और हर मुख का अपना अलग महत्व और शक्ति है।
पंचमुखी हनुमान का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में मिलता है, खासकर रामायण, नारद पुराण और हनुमान रहस्य में। माना जाता है कि पंचमुखी स्वरूप धारण करके हनुमान जी ने राम भक्तों की रक्षा की और राक्षसों का संहार किया।
2. पंचमुखी स्वरूप का पौराणिक संदर्भ
रामायण के युद्धकांड में वर्णन मिलता है कि जब राम-रावण युद्ध में अहिरावण ने श्रीराम और लक्ष्मण को पाताल लोक में बंधक बना लिया था, तब हनुमान जी पाताल में गए और वहाँ पंचमुखी स्वरूप धारण करके अहिरावण का वध किया।
इन पाँच मुखों में हर एक का अपना दैवीय उद्देश्य था —
- एक मुख हनुमान जी का स्वाभाविक मुख था।
- दूसरा मुख नरसिंह अवतार का, जो राक्षसों का संहार करता है।
- तीसरा मुख गरुड़ देव का, जो विषनाशक शक्ति देता है।
- चौथा मुख वराह अवतार का, जो पृथ्वी का रक्षक है।
- पाँचवाँ मुख हयग्रीव अवतार का, जो ज्ञान का प्रतीक है।
3. पाँच मुखों का नाम और स्वरूप
(1) हनुमान मुख
- यह मुख शक्ति, भक्ति और निर्भीकता का प्रतीक है।
- इस मुख से हनुमान जी अपने भक्तों को बल, साहस और भयमुक्ति का आशीर्वाद देते हैं।
- पंचमुखी स्वरूप में यह केंद्र स्थान पर होता है।
(2) नरसिंह मुख
- भगवान विष्णु का उग्र अवतार, जो भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए प्रकट हुए थे।
- यह मुख दुष्टों का नाश करता है और भक्तों की रक्षा करता है।
- नरसिंह मुख का अर्थ है – साहस और न्याय की स्थापना।
(3) गरुड़ मुख
- गरुड़ भगवान विष्णु का वाहन हैं और विषहर देवता के रूप में पूजित होते हैं।
- यह मुख भक्त को सर्प दोष, नागदोष और विष प्रभाव से मुक्त करता है।
- गरुड़ मुख का अर्थ है – जीवन से विषैले तत्वों का नाश।
(4) वराह मुख
- भगवान वराह ने पृथ्वी को पाताल से निकालकर बचाया था।
- यह मुख भक्त को स्थिरता, धैर्य और भूमि से जुड़ी समृद्धि प्रदान करता है।
- वराह मुख का अर्थ है – भौतिक और आध्यात्मिक उत्थान।
(5) हयग्रीव मुख
- हयग्रीव भगवान विष्णु का ज्ञान और वेदों के रक्षक अवतार हैं।
- यह मुख भक्त को ज्ञान, स्मरण शक्ति और विवेक प्रदान करता है।
- हयग्रीव मुख का अर्थ है – विद्या और आध्यात्मिक जागृति।
4. पंचमुखी हनुमान की उत्पत्ति कथा (अहिरावण वध)
- जब रावण का भाई अहिरावण, जो पाताल लोक का राजा था, श्रीराम और लक्ष्मण को मंत्रबल से अगवा कर ले गया, तब हनुमान जी उन्हें बचाने के लिए पाताल लोक पहुँचे।
- पाताल में प्रवेश करते समय उन्हें एक वरदान मिला कि केवल वही पंचमुखी स्वरूप धारण कर पाँच दिशाओं में दीपक जलाकर अहिरावण का वध कर सकते हैं।
- हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया –
- पूर्व दिशा में हनुमान मुख
- पश्चिम में नरसिंह मुख
- दक्षिण में गरुड़ मुख
- उत्तर में वराह मुख
- ऊपर की ओर हयग्रीव मुख
- इस स्वरूप में हनुमान जी ने एक साथ पाँच दिशाओं में शक्ति प्रकट कर अहिरावण का वध किया और श्रीराम-लक्ष्मण को मुक्त कराया।
5. पंचमुखी स्वरूप का प्रतीकवाद
- पाँच मुख पाँच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- यह स्वरूप पाँचों दिशाओं की रक्षा करता है – उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और ऊपर।
- पाँच मुख पंच प्राणों का भी प्रतीक हैं – प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान।
- आध्यात्मिक रूप से यह संदेश देता है कि भक्ति में जब पाँचों इंद्रियाँ संयमित हो जाती हैं, तभी परमशक्ति की प्राप्ति होती है।
6. पंचमुखी हनुमान का प्रथम उल्लेख कहाँ मिलता है?
- पंचमुखी स्वरूप का उल्लेख मुख्यतः हनुमान रहस्य और रामायण के उत्तरकांड में मिलता है।
- इसके अलावा नरसिंह पुराण, गरुड़ पुराण और दक्षिण भारतीय भक्ति साहित्य में भी इसका जिक्र है।
- तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कई प्राचीन मंदिरों में पंचमुखी हनुमान की मूर्तियाँ मिलती हैं।
भाग 2: पाँच मुखों का महत्व, शक्तियाँ, पौराणिक प्रसंग और साधना विधि
1. पंचमुखी हनुमान के पाँच मुखों का गहरा आध्यात्मिक महत्व
हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप के पाँच चेहरे न केवल अलग-अलग शक्तियों का प्रतीक हैं, बल्कि वे मानव जीवन के पाँच आयामों को भी दर्शाते हैं — भक्ति, साहस, संरक्षण, ज्ञान और स्थिरता। आइए प्रत्येक मुख का विस्तार से महत्व समझें:
(1) हनुमान मुख – भक्ति और शक्ति का प्रतीक
- आध्यात्मिक महत्व:
यह मुख शुद्ध भक्ति, शक्ति और निष्काम सेवा का प्रतीक है। यह बताता है कि भक्ति में शक्ति स्वतः आती है। - विशेष शक्तियाँ:
- भय, नकारात्मक ऊर्जा और बुरे विचारों से रक्षा
- आत्मविश्वास और साहस का विकास
- सभी संकटों का समाधान (संकटमोचन)
- साधना में उपयोग:
- संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ इस मुख के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
- मंगल दोष और शनि के प्रभाव से मुक्ति हेतु पूजन किया जाता है।
(2) नरसिंह मुख – दुष्टों का संहारक
- आध्यात्मिक महत्व:
नरसिंह मुख अन्याय, अधर्म और भय के नाश का प्रतीक है। यह भक्त में धर्म की रक्षा हेतु साहसिक शक्ति जगाता है। - विशेष शक्तियाँ:
- ग्रह बाधा, प्रेत बाधा और तांत्रिक प्रभाव को नष्ट करता है।
- शत्रुओं पर विजय दिलाता है।
- जीवन में आने वाली रुकावटें दूर करता है।
- पौराणिक प्रसंग:
- जिस प्रकार भगवान नरसिंह ने प्रह्लाद की रक्षा की, उसी प्रकार हनुमान का नरसिंह मुख भक्त की रक्षा करता है।
(3) गरुड़ मुख – विषनाशक और रक्षा करने वाला
- आध्यात्मिक महत्व:
गरुड़ मुख विषनाशक शक्ति का प्रतीक है। यह न केवल भौतिक विष (जैसे नागदंश) बल्कि ईर्ष्या, क्रोध और नकारात्मकता के विष को भी दूर करता है। - विशेष शक्तियाँ:
- कालसर्प दोष और नागदोष से मुक्ति।
- विषैले जीव-जंतु और रोगों से सुरक्षा।
- मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करना।
- वैज्ञानिक दृष्टि:
- प्राचीन भारत में गरुड़ को एंटी-वेनम (विषहर) शक्ति का प्रतीक माना जाता था, जो आज भी आयुर्वेदिक उपचारों में दिखता है।
(4) वराह मुख – स्थिरता और पृथ्वी से जुड़ी समृद्धि
- आध्यात्मिक महत्व:
वराह मुख पृथ्वी तत्व का प्रतीक है। यह जीवन में स्थिरता, धैर्य और भौतिक-आध्यात्मिक संतुलन लाता है। - विशेष शक्तियाँ:
- भूमि, घर और परिवार की रक्षा।
- धन, सुख और उन्नति का आशीर्वाद।
- कठिन परिस्थितियों में स्थिर मानसिकता प्रदान करना।
- पौराणिक संकेत:
- वराह अवतार ने जिस प्रकार पृथ्वी को पाताल से निकाला, वैसे ही यह मुख भक्त को अवसाद, कष्ट और असफलताओं से बाहर लाता है।
(5) हयग्रीव मुख – ज्ञान और विवेक का प्रतीक
- आध्यात्मिक महत्व:
हयग्रीव मुख ज्ञान, बुद्धि और स्मरण शक्ति का प्रतीक है। यह शिक्षा, आध्यात्मिक ज्ञान और विवेक प्रदान करता है। - विशेष शक्तियाँ:
- विद्यार्थियों के लिए विद्या प्राप्ति और स्मरण शक्ति का विकास।
- निर्णय क्षमता और मन की स्पष्टता में वृद्धि।
- आध्यात्मिक साधना में प्रगति।
- पौराणिक महत्व:
- हयग्रीव अवतार को वेदों का रक्षक कहा जाता है। अतः यह मुख भक्त को वेदज्ञान और ब्रह्मविद्या का आशीर्वाद देता है।
2. पंचमुखी हनुमान के मंत्र और उनका महत्व
(1) पंचमुखी हनुमान बीज मंत्र
ऐं ह्रीं क्लीं हनुमते पंचमुखाय भक्तजनप्रियाय सर्वदुष्टप्रहरणाय स्वाहा।
- लाभ: यह मंत्र सभी प्रकार की बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करता है।
(2) पंचमुखी हनुमान गायत्री मंत्र
CopyEditॐ पंचवक्त्राय विद्महे महाबलाय धीमहि
तन्नो हनुमानः प्रचोदयात्।
- लाभ: साधक के भीतर पंचमुखी हनुमान की शक्ति जागृत करता है और भय मिटाता है।
(3) प्रत्येक मुख का व्यक्तिगत मंत्र
- हनुमान मुख:
ॐ हनुमते नमः
- नरसिंह मुख:
ॐ नरसिंहाय नमः
- गरुड़ मुख:
ॐ गरुड़ाय नमः
- वराह मुख:
ॐ वराहाय नमः
- हयग्रीव मुख:
ॐ हयग्रीवाय नमः
3. पंचमुखी हनुमान की साधना विधि
साधना का समय और स्थान
- साधना रात्रि के समय, विशेषकर अमावस्या या मंगलवार/शनिवार को की जाती है।
- स्वच्छ और शांत स्थान चुनें।
विधि
- स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
- पंचमुखी हनुमान की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएँ।
- लाल फूल, सिंदूर और चंदन अर्पित करें।
- ऊपर बताए गए मंत्रों का 108 बार जप करें।
- साधना के बाद हनुमान चालीसा या संकटमोचन स्तोत्र का पाठ करें।
4. पौराणिक कथाएँ और लोक मान्यताएँ
अहिरावण वध कथा
- जैसा भाग 1 में बताया, पंचमुखी स्वरूप धारण करके हनुमान जी ने पाताल लोक में अहिरावण का वध किया।
- इस कथा से संदेश मिलता है कि जब भक्त संकट में हो, हनुमान जी पंचमुखी स्वरूप धारण कर उसकी रक्षा करते हैं।
भक्त अनुभव और चमत्कार
- दक्षिण भारत में कई भक्त मानते हैं कि पंचमुखी हनुमान की पूजा करने से नागदोष, शत्रु बाधा और तांत्रिक प्रभाव तुरंत समाप्त हो जाते हैं।
- महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी पंचमुखी हनुमान के मंदिरों में चमत्कारिक अनुभव सुनाई देते हैं — जैसे रोगों का ठीक होना और अचानक संकट से मुक्ति।
5. पंचमुखी स्वरूप का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- पाँच मुखों को पाँच इंद्रियों का प्रतीक भी माना जाता है। जब सभी इंद्रियाँ नियंत्रित हो जाती हैं, तभी आध्यात्मिक शक्ति का पूर्ण विकास होता है।
- पंचमुखी हनुमान की आकृति मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से सुरक्षा कवच का प्रतीक है।
- पाँच दिशाओं का प्रतीक होने से यह स्वरूप हमारे चेतन और अवचेतन मन को संतुलित करता है।
भाग 3: पंचमुखी हनुमान की पूजा का लाभ, प्रसिद्ध मंदिर, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और निष्कर्ष
1. पंचमुखी हनुमान की पूजा के लाभ
पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से भक्त को न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन के कई कठिन पहलुओं में भी सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। आइए विस्तार से देखें:
(1) भय और संकट से मुक्ति
- पंचमुखी हनुमान को संकटमोचन कहा जाता है।
- यह स्वरूप विशेष रूप से भूत-प्रेत बाधा, तांत्रिक प्रभाव और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है।
- जीवन में आने वाले अचानक संकट, मानसिक तनाव और भय को दूर करता है।
(2) ग्रह दोषों से मुक्ति
- विशेष रूप से शनि दोष, मंगल दोष और राहु-केतु के दुष्प्रभाव में पंचमुखी हनुमान की पूजा अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
- कालसर्प दोष और पितृदोष से राहत के लिए भी यह पूजा श्रेष्ठ है।
(3) धन, स्वास्थ्य और सफलता
- वराह मुख पृथ्वी तत्व का प्रतीक होने से स्थिरता और समृद्धि प्रदान करता है।
- हनुमान मुख और गरुड़ मुख मिलकर रोगों और विषैले प्रभावों को दूर करते हैं।
- हयग्रीव मुख शिक्षा और ज्ञान में सफलता देता है।
(4) आध्यात्मिक प्रगति और ज्ञान
- हयग्रीव मुख के कारण पंचमुखी हनुमान को वेदों का रक्षक माना जाता है।
- यह साधक को गहन ध्यान, जप और साधना में सफलता दिलाता है।
(5) परिवार और गृह शांति
- पंचमुखी स्वरूप की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और सौहार्द बढ़ता है।
- यह घर की रक्षा पाँच दिशाओं से करता है — पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊपर।
2. पंचमुखी हनुमान के प्रमुख मंदिर
भारत में पंचमुखी हनुमान के कई प्राचीन मंदिर हैं, जहाँ भक्त विशेष रूप से दर्शन करने आते हैं। इन मंदिरों के बारे में जानने से भक्तों को इस स्वरूप का महत्त्व और स्पष्ट हो जाता है।
(1) पंचमुखी हनुमान मंदिर, रावणफोंडी (कर्नाटक)
- यह स्थान रामायण काल से जुड़ा हुआ माना जाता है।
- मान्यता है कि यहीं हनुमान जी ने पंचमुखी स्वरूप धारण कर अहिरावण का वध किया था।
- आज भी यहाँ भक्त पंचमुखी हनुमान की पूजा कर विशेष लाभ प्राप्त करते हैं।
(2) पंचमुखी हनुमान मंदिर, अंजनेयाद्री (हंपी, कर्नाटक)
- यह स्थान हनुमान जी का जन्मस्थान माना जाता है।
- यहाँ पंचमुखी हनुमान की विशेष मूर्ति स्थापित है।
(3) पंचमुखी हनुमान मंदिर, रामेश्वरम (तमिलनाडु)
- रामेश्वरम का यह मंदिर राम-रावण युद्ध की घटनाओं से जुड़ा हुआ है।
- तीर्थयात्रियों के लिए यह स्थान विशेष महत्त्व रखता है।
(4) पंचमुखी हनुमान मंदिर, कराईकल (पुदुचेरी)
- यहाँ हनुमान जी की पंचमुखी मूर्ति भक्तों को समुद्र से सुरक्षा और शांति का आशीर्वाद देती है।
(5) पंचमुखी हनुमान मंदिर, वाराणसी
- काशी में यह मंदिर शिव-हनुमान भक्ति का अद्भुत संगम है।
- शनि दोष और तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति के लिए विशेष पूजा की जाती है।
3. पंचमुखी हनुमान पूजा की विशेष तिथियाँ
- मंगलवार और शनिवार — संकट निवारण के लिए श्रेष्ठ।
- हनुमान जयंती — पंचमुखी स्वरूप की विशेष आराधना।
- अमावस्या और पूर्णिमा — ग्रह दोष निवारण हेतु।
- रामनवमी और रामेश्वरम यात्रा के दौरान — पंचमुखी हनुमान पूजन का विशेष महत्त्व।
4. वैज्ञानिक दृष्टिकोण: पंचमुखी हनुमान क्यों विशेष?
- पाँच मुख पाँच इंद्रियों और पाँच तत्वों का प्रतीक हैं।
- ध्यान साधना में पंचमुखी स्वरूप का स्मरण करने से मस्तिष्क के पाँच प्रमुख चक्र सक्रिय होते हैं।
- यह स्वरूप एक प्रकार का मनोवैज्ञानिक सुरक्षा कवच प्रदान करता है — जिससे व्यक्ति को आत्मविश्वास और साहस मिलता है।
- गरुड़ मुख का विषहर अर्थ आज भी आयुर्वेद और मनोविज्ञान में प्रासंगिक है (नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति)।
5. भक्तों के अनुभव और लोककथाएँ
- दक्षिण भारत में कई लोग मानते हैं कि पंचमुखी हनुमान की पूजा करने से रोग और शत्रु बाधा तुरंत समाप्त हो जाती है।
- महाराष्ट्र और गुजरात में विवाह या गृह निर्माण से पहले पंचमुखी हनुमान की पूजा कर दिशा दोष हटाने की परंपरा है।
- कई भक्त यह अनुभव करते हैं कि संकट के समय अचानक मदद मिलती है — इसे वे हनुमान जी का कृपा मानते हैं।
6. निष्कर्ष: पंचमुखी हनुमान साधना का संदेश
पंचमुखी हनुमान का स्वरूप केवल एक मूर्ति या कथा नहीं, बल्कि एक जीवन संदेश है।
- हनुमान मुख सिखाता है — भक्ति में शक्ति है।
- नरसिंह मुख बताता है — अन्याय का अंत अवश्य होता है।
- गरुड़ मुख सिखाता है — विष चाहे भौतिक हो या मानसिक, भक्ति उसे नष्ट कर देती है।
- वराह मुख प्रेरित करता है — धैर्य और स्थिरता से ही विजय मिलती है।
- हयग्रीव मुख बताता है — ज्ञान ही मोक्ष का मार्ग है।
इस प्रकार पंचमुखी हनुमान साधना जीवन के पाँच पहलुओं को संतुलित कर मनुष्य को भयमुक्त, शक्तिशाली और ज्ञानवान बनाती है।