प्रहर क्या होते हैं? | प्रहर का अर्थ, समय-विभाजन और धार्मिक महत्व

1. प्रहर क्या होते हैं?

भारतीय संस्कृति में समय को केवल घंटे, मिनट और सेकंड में नहीं, बल्कि प्रहरों में भी मापा जाता है।
प्रहर का अर्थ है — समय का एक निश्चित भाग

संक्षेप में:

एक प्रहर = 3 घंटे


2. प्रहर का इतिहास और उत्पत्ति

प्रहर की प्रणाली का उपयोग:

  • वैदिक काल
  • आयुर्वेद
  • ज्योतिष और वास्तुशास्त्र
  • पुराण और धार्मिक अनुष्ठानों

में किया जाता था।

उस समय घड़ी नहीं होती थी, इसलिए प्रकृति के आधार पर समय को प्रहर में बाँटा जाता था – जैसे सूर्य की स्थिति, रोशनी और तापमान।


3. एक दिन में कितने प्रहर होते हैं?

एक पूरा दिन (24 घंटे) = 8 प्रहर

समयप्रहर
6 AM – 9 AMप्रथम प्रहर (दिन)
9 AM – 12 PMद्वितीय प्रहर
12 PM – 3 PMतृतीय प्रहर
3 PM – 6 PMचतुर्थ प्रहर
6 PM – 9 PMप्रथम रात्रि प्रहर
9 PM – 12 AMद्वितीय रात्रि प्रहर
12 AM – 3 AMतृतीय रात्रि प्रहर
3 AM – 6 AMचतुर्थ रात्रि प्रहर (ब्रह्ममुहूर्त इसी में आता है)

4. दिन के चार प्रहर (Day Prahar)

प्रहरसमय (लगभग)विशेषता
प्रथम प्रहर6 AM – 9 AMनई ऊर्जा का समय, सूर्य का उदय
द्वितीय प्रहर9 AM – 12 PMदैनिक कार्यों की शुरुआत
तृतीय प्रहर12 PM – 3 PMसूर्य का तीव्रतम प्रकाश
चतुर्थ प्रहर3 PM – 6 PMदिन का शांत समय, सूर्यास्त के पहले

5. रात के चार प्रहर (Night Prahar)

प्रहरसमय (लगभग)विशेषता
प्रथम रात्रि प्रहर6 PM – 9 PMविश्राम की तैयारी
द्वितीय रात्रि प्रहर9 PM – 12 AMगहरी नींद
तृतीय रात्रि प्रहर12 AM – 3 AMपूर्ण शांति
चतुर्थ रात्रि प्रहर3 AM – 6 AMब्रह्ममुहूर्त, ध्यान का श्रेष्ठ समय

👉 चतुर्थ रात्रि प्रहर को शास्त्रों में अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना गया है।


6. धार्मिक ग्रंथों में प्रहर का उल्लेख

  • रामचरितमानस, महाभारत, पुराणों और वेदों में प्रहर के अनुसार समय का वर्णन मिलता है।
  • पूजा और जप के लिए अष्टप्रहर व्रत भी किए जाते हैं, जिसमें 24 घंटे भगवान का नाम स्मरण होता है।

7. प्रहर और पूजा-व्रत का महत्व

आज भी कई धार्मिक कर्म, पूजा और व्रत प्रहर के अनुसार किए जाते हैं:

अनुष्ठानकिस प्रहर में
ब्रह्ममुहूर्त में ध्यान4th रात्रि प्रहर
अष्टप्रहर कीर्तन/जप8 प्रहर लगातार
महाशिवरात्रि जागरणरात्रि के 4 प्रहर

8. प्रहर से जुड़ी आयुर्वेदिक जानकारी

आयुर्वेद में हर प्रहर में शरीर की ऊर्जा बदलती है:

प्रहरऊर्जा (दोष)
6 AM – 9 AMकफ (भारीपन)
9 AM – 12 PMपित्त (ऊर्जा)
12 PM – 3 PMपित्त (उच्चतम ऊर्जा)
3 PM – 6 PMवात (हल्कापन)

9. आधुनिक समय में प्रहर का उपयोग

आज प्रहर की चर्चा इन क्षेत्रों में होती है:

  • योग और ध्यान
  • पंचांग और ज्योतिष
  • आध्यात्मिक साधना
  • मंदिरों की दिनचर्या और पूजा विधि

10. निष्कर्ष

प्रहर भारतीय समय-विभाजन का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक तरीका है।

यह हमें प्रकृति के साथ तालमेल बैठाकर जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

प्रहर हमें बताता है कि हर समय का अपना महत्व है और सही समय पर किया गया कार्य, श्रेष्ठ फल देता है।

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