राम एकादशी व्रत कथा (Rama Ekadashi Vrat Katha)

राम एकादशी 2025 आ रही है! जानिए इस पवित्र दिन की कथा, व्रत विधि और महत्त्व। इस दिन व्रत रखने से पाप नष्ट होते हैं, पितृ तृप्त होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

राम एकादशी क्या है?

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को राम एकादशी कहा जाता है। इसे रंभा एकादशी या कनक एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रों में इसका अत्यंत महत्व बताया गया है क्योंकि इसका व्रत करने से सभी पाप नष्ट होते हैं, पितृ दोष मिटता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


राम एकादशी की मुख्य कथा

प्राचीन काल में मुचुकुंद नामक एक धर्मात्मा राजा था। वह सत्यवादी, दयालु और भगवान विष्णु का परम भक्त था। उसकी चार पत्नियाँ थीं—सुरभि, सुशीला, सुरुचि और पद्मा। इनमें से पद्मा सबसे अधिक प्रिय थी

एक दिन राजा मुचुकुंद ने सोचा —
“मैं इतना बड़ा राजा हूँ, धर्म भी करता हूँ, दान भी देता हूँ… परंतु मुझे मोक्ष मिलेगा या नहीं?”

यह विचार आते ही उसने गुरु वशिष्ठ जी से पूछा —
“गुरुवर! ऐसा कौन सा व्रत है जिससे मुझे मोक्ष और भगवान विष्णु की कृपा मिले?”

गुरु वशिष्ठ जी ने कहा —
“हे राजन! कार्तिक कृष्ण पक्ष की राम एकादशी का व्रत सबसे श्रेष्ठ है। इसे स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। अगर आप यह व्रत करेंगे तो आप ही नहीं, आपके पूर्वज भी स्वर्ग को प्राप्त होंगे।”


राजा और रानी का व्रत

राजा ने इस व्रत को करने का निश्चय किया और साथ में रानी पद्मा ने भी व्रत रखा।

व्रत के दिन दोनों ने:

  • प्रातःकाल स्नान किया
  • भगवान विष्णु की पूजा की
  • सम्पूर्ण दिन निर्जला उपवास रखा
  • रातभर जागरण और भजन कीर्तन किया

व्रत के प्रभाव से कुछ ही समय बाद राजा वृद्ध हो गया और देह त्यागकर विष्णुलोक को प्राप्त हुआ।


रानी पद्मा का पुनर्जन्म

रानी पद्मा ने भी व्रत का फल पाया और अगले जन्म में विदर्भ देश की राजकुमारी के रूप में जन्म लिया। उसका नाम मालिनी पड़ा।

मालिनी अत्यंत सुंदर और सदाचारी थी। उचित समय पर उसका विवाह चंद्रवंश के राजा खंडिक्य से हुआ।

परंतु विवाह के कई वर्ष बीत गए, फिर भी संतान प्राप्ति नहीं हुई। इससे राजा और रानी दोनों दुखी रहने लगे।


नारद मुनि का आगमन

एक दिन देवर्षि नारद वहाँ आये। राजा ने दुख बताया। नारद जी ने कहा —

“तुम्हारी पत्नी ने पूर्व जन्म में राम एकादशी व्रत किया था, उसी पुण्य के प्रभाव से तुम्हें यह विवाह प्राप्त हुआ है। यदि वह इस जन्म में भी यह व्रत करे तो तुम्हें पुत्र अवश्य प्राप्त होगा।”

रानी ने पुनः श्रद्धा से राम एकादशी का व्रत रखा, और कुछ समय बाद उन्हें सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई।


राम एकादशी व्रत का महत्त्व

  • यह व्रत पिछले जन्मों के पापों को भी नष्ट करता है।
  • इससे पितृ तृप्त होते हैं और उनका उद्धार होता है।
  • इससे सुखी दांपत्य जीवन और संतान प्राप्ति का वरदान भी मिलता है।
  • इसे करने से मोक्ष और वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष

राम एकादशी व्रत केवल एक साधारण उपवास नहीं, बल्कि जीवन को सुधारने का दिव्य साधन है।
जो भी व्यक्ति सच्चे मन से इसका पालन करता है, उसे धन, सुख, संतान, शांति और अंत में मुक्ति अवश्य प्राप्त होती है।

राम एकादशी व्रत विधि, पूजा सामग्री सूची और 2025 की तारीख

Leave a Comment