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श्रावण अमावस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या तिथि को कहते हैं, जो पितृ पूजन, तंत्र साधना, जल तत्त्व शुद्धिकरण और शिव साधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन विशेष रूप से पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने, गुप्त साधनाओं और तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
🌑 श्रावण अमावस्या का महत्व:
- पितृ तर्पण और श्राद्ध का दिन:
इस दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है। - शिव पूजा का विशेष महत्व:
श्रावण मास शिव को समर्पित है। अमावस्या की रात को शिवलिंग पर जल चढ़ाना विशेष फलदायक माना जाता है। - तांत्रिक साधना की सिद्ध रात:
अमावस्या की रात को अनेक साधक गुप्त तांत्रिक साधनाएं, विशेषकर भूत बाधा, तांत्रिक रक्षा या सिद्धि प्राप्ति के लिए करते हैं। - जल तत्त्व की शुद्धि:
अमावस्या पर जल तत्त्व असंतुलित होता है, इसलिए उपवास, स्नान और जप से शरीर का जल संतुलन साधा जाता है। - नकारात्मक ऊर्जा शमन:
श्रावण अमावस्या की पूजा-पाठ और हवन से घर की नकारात्मक ऊर्जा शांत होती है।
🔰 भूमिका: श्रावण अमावस्या – पितृ शांति और साधना की रात
श्रावण मास का प्रत्येक दिन शिवमय होता है, लेकिन अमावस्या की रात्रि को विशेष महत्व प्राप्त है। यह तिथि सिर्फ चंद्र दर्शन से रहित नहीं होती, बल्कि आध्यात्मिक, तांत्रिक और पितृ पूजन की दृष्टि से अत्यंत फलदायक मानी जाती है। इस दिन का सही उपयोग जीवन के अनेक दुखों से मुक्ति दिला सकता है।
🌑 भाग 1: श्रावण अमावस्या 2025 की तिथि व समय
- तिथि: सोमवार, 25 अगस्त 2025
- अमावस्या प्रारंभ: 25 अगस्त सुबह 06:44 बजे
- अमावस्या समाप्त: 26 अगस्त सुबह 03:02 बजे
- दिन: सोमवार (शिव पूजन के लिए अति शुभ)
🧬 भाग 2: अमावस्या और तंत्र – ऊर्जा विज्ञान की दृष्टि से
- अमावस्या की रात में चंद्र की शून्यता के कारण तामसिक ऊर्जा का प्रभाव अत्यधिक होता है।
- यह रात्रि सिद्धियों, साधना और रहस्योद्घाटन के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
- ऋषियों और तांत्रिकों के अनुसार, यह रात्रि एक शक्तिशाली सूक्ष्म द्वार खोलती है।
🕉️ भाग 3: पितृ तर्पण – पूर्वजों को समर्पित कृतज्ञता
3.1 तर्पण क्या है?
पानी, तिल और कुश से पूर्वजों की आत्मा को श्रद्धांजलि देना तर्पण कहलाता है।
3.2 कैसे करें तर्पण?
- सूर्योदय के समय स्नान करके दक्षिण दिशा की ओर मुख करके कुशासन पर बैठें।
- काले तिल, जल और कुश लेकर “ॐ पितृभ्यः स्वधायै नमः” मंत्र से अर्घ्य दें।
- ब्राह्मणों को दान करें, विशेषकर तिल, वस्त्र और अन्न।
3.3 लाभ:
- पितृ दोष से मुक्ति
- पारिवारिक कलह का शमन
- जीवन में स्थिरता व समृद्धि
🛕 भाग 4: शिव पूजन – सर्वदोष नाशक उपाय
4.1 क्यों करें शिव पूजन?
- श्रावण मास शिव को अत्यंत प्रिय है और अमावस्या तिथि रहस्यमयी ऊर्जा से युक्त होती है।
4.2 पूजन विधि:
- रुद्राभिषेक करें जल, दूध, शहद, दही, घी व गंगाजल से।
- बेलपत्र, धतूरा, आक, काले तिल अर्पित करें।
- मंत्र: “ॐ नमः शिवाय” अथवा महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
4.3 लाभ:
- मनोवांछित फल की प्राप्ति
- रोग, भय व कष्टों से रक्षा
- अध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि
🧿 भाग 5: तांत्रिक साधना और सिद्धियाँ
5.1 कौन-कौन सी साधनाएं करें?
- काली साधना, भैरव साधना, श्री यंत्र साधना, बगलामुखी साधना
5.2 कौन से मंत्र उपयोग करें?
- काली मंत्र: ॐ क्रीं कालिकायै नमः
- भैरव मंत्र: ॐ भैरवाय नमः
- रात्रि जप: रात्रि को मौन व्रत रखकर एकांत में साधना करें।
5.3 सावधानियाँ:
- बिना गुरु के निर्देश के तंत्र-साधना न करें।
- अग्नि, दीपक व शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
🌿 भाग 6: दोष निवारण और उपाय
6.1 पितृ दोष निवारण:
- पीपल वृक्ष की पूजा करें।
- दीपदान करें – पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
6.2 कालसर्प दोष शांति:
- नाग देवता की पूजा करें।
- शिवलिंग पर काले तिल और दूध चढ़ाएं।
6.3 राहु-केतु शांति:
- उड़द की दाल का दान करें।
- काले वस्त्र, लोहा, सरसों का तेल का दान करें।
🧘♂️ भाग 7: आत्मचिंतन और साधना
- अमावस्या की रात ध्यान और मौन का अभ्यास करें।
- यह समय आत्म निरीक्षण और पुराने कर्मों के परिमार्जन के लिए उत्तम है।
- 108 बार गायत्री मंत्र का जप करें।
🚫 भाग 8: क्या न करें?
- बाल/नाखून न काटें
- झूठ, कटु वचन, मांसाहार, नशा से दूर रहें
- रात को अकेले श्मशान या पीपल के नीचे न जाएं
- तंत्र प्रयोग से खिलवाड़ न करें
🌺 भाग 9: सरल उपाय (हर कोई कर सकता है)
उपाय | लाभ |
---|---|
काले तिल से स्नान | नकारात्मक ऊर्जा नाश |
शिव मंत्र का जाप | मन की शांति |
पितृ नाम से दीप जलाएं | पूर्वज संतुष्ट होंगे |
ब्राह्मण भोजन | पुण्य प्राप्ति |
📿 श्रावण अमावस्या के लिए विशेष मंत्र:
🔱 पितृ तर्पण मंत्र:
ॐ पितृभ्यः स्वधायै नमः।
🔱 शिव अभिषेक मंत्र:
ॐ नमः शिवाय।
🔱 काली साधना मंत्र:
ॐ क्रीं कालीकायै नमः।
🪔 श्रावण अमावस्या पर क्या करें?
कार्य | लाभ |
---|---|
पितृ तर्पण | पूर्वजों की आत्मा को शांति |
शिवलिंग पर अभिषेक | सभी दोषों का शमन |
काले तिल से स्नान | नकारात्मकता का नाश |
पीपल पूजा व दीपदान | पितृ दोष से मुक्ति |
ब्राह्मण को भोजन | शुभ फल एवं पुण्य |
📌 भाग 10: निष्कर्ष – श्रावण अमावस्या क्यों विशेष है?
श्रावण अमावस्या केवल एक तिथि नहीं, यह अवसर है:
- अपने पूर्वजों से जुड़ने का
- अपने दोषों से मुक्ति पाने का
- तांत्रिक व वैदिक ऊर्जा को आत्मसात करने का
- और एक नई शुरुआत करने का।
जो व्यक्ति श्रद्धा, नियम और विधिपूर्वक इस रात्रि का उपयोग करता है, वह निश्चित ही आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन में संतुलन प्राप्त करता है।
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ॐ नमः शिवाय।
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