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🔱 भूमिका: श्रावण अमावस्या – तंत्र, शक्ति और साधना का मिलन
श्रावण अमावस्या एक अत्यंत रहस्यमयी तिथि होती है, जब चंद्रमा पूर्णतः लुप्त हो जाता है और रात्रि में तामसिक शक्तियाँ सक्रिय हो जाती हैं। यह दिन तंत्र-साधना, गुप्त उपाय और दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए विशेष माना गया है। विशेष रूप से शिव, भैरव और देवी काली के उपासकों के लिए यह रात सिद्धि प्राप्ति का स्वर्ण अवसर है। आइए जानते हैं इस विशेष दिन से जुड़ी तांत्रिक रहस्यमयी बातें और सिद्ध टोटकों के बारे में।
🌑 भाग 1: श्रावण अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
🕉️ 1.1 चंद्रहीन रात्रि और तामसिक ऊर्जा
श्रावण अमावस्या को चंद्रमा पूरी तरह लुप्त होता है, जिससे चित्त अस्थिर हो सकता है। लेकिन यही समय होता है जब ध्यान, तंत्र और साधना से आत्मिक ऊर्जा को जागृत किया जा सकता है।
🕉️ 1.2 शिव-भक्ति का चरम समय
श्रावण मास शिव भक्ति के लिए सर्वोत्तम है, और अमावस्या की रात को शिव तांडव और ध्यान विशेष फलदायी होता है। यह समय ‘महाकाल’ के स्वरूप को साधने का भी होता है।
🕉️ 1.3 पितृ तर्पण और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति
इस दिन पितरों के लिए जल तर्पण, काले तिल और अन्न से श्राद्ध करने से पितृदोष कम होता है और पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है।
🧿 भाग 2: श्रावण अमावस्या के सिद्ध टोटके (गुप्त उपाय)
💰 2.1 धन प्राप्ति के लिए टोटके
- शिवलिंग पर काले तिल और शुद्ध घी से अभिषेक करें – आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं।
- पीपल के पत्ते पर हल्दी से “ॐ श्रीं नमः” लिखकर बहते जल में प्रवाहित करें – लक्ष्मी कृपा मिलती है।
- अमावस्या की रात 11 दीपक घर के हर कोने में जलाएं – दरिद्रता दूर होती है।
🧿 2.2 नज़र दोष और ऊपरी बाधा से रक्षा
- रात को नींबू पर चारों तरफ लौंग गाड़कर हनुमान मंदिर में चढ़ाएं – नज़र दोष खत्म होता है।
- काली उड़द, राई और नमक को सिर से 7 बार उतारकर चौराहे पर फेंक दें – ऊपरी बाधा हटती है।
📈 2.3 व्यापार में वृद्धि के टोटके
- गुड़ और चने को गाय को खिलाएं – व्यापार में स्थिरता आती है।
- तिजोरी में लाल कपड़े में चांदी का सिक्का और गोमती चक्र रखें – धन में वृद्धि होती है।
🧘 2.4 नौकरी और करियर में सफलता
- रात को सरसों के तेल का दीपक पीपल के नीचे जलाएं और 7 बार “ॐ श्री हनुमते नमः” मंत्र बोलें – इंटरव्यू में सफलता मिलती है।
- अमावस्या की रात “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें – आत्मविश्वास और स्थिरता बढ़ती है।
💏 2.5 वैवाहिक जीवन और प्रेम में सुधार
- शिव-पार्वती की युगल पूजा करें, खासकर अर्धनारीश्वर रूप में – दाम्पत्य सुख मिलता है।
- सिंदूर में गुलाबजल मिलाकर देवी पार्वती को अर्पित करें – मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।
👶 2.6 संतान सुख के लिए उपाय
- शिवलिंग पर बेलपत्र, दूर्वा और दूध अर्पित करें – संतान प्राप्ति में सहायता होती है।
- नारियल में मिश्री भरकर बहते जल में प्रवाहित करें – संतान से जुड़ी बाधाएं दूर होती हैं।
🕯️ भाग 3: श्रावण अमावस्या के तांत्रिक रहस्य
🔮 3.1 अमावस्या और तांत्रिक ऊर्जा का सक्रिय होना
अमावस्या की रात्रि में सूर्य और चंद्र दोनों की रोशनी लुप्त हो जाती है। यह समय तांत्रिकों के लिए सबसे शक्तिशाली होता है क्योंकि प्रकृति की तमोगुणी शक्तियाँ जागृत होती हैं।
🔱 3.2 काली साधना
- इस दिन रात्रि 12 बजे के बाद काली माता के मंत्र “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” का जाप विशेष फलदायी माना गया है।
- तांत्रिक साधक काली यंत्र की स्थापना कर विशेष सिद्धियाँ प्राप्त करते हैं।
🐕 3.3 भैरव उपासना और रक्षा तंत्र
- श्रावण अमावस्या को काल भैरव के नाम से एक तेल का दीपक श्मशान भूमि की दिशा में जलाना रक्षात्मक तांत्रिक प्रयोग होता है।
- “ॐ भैरवाय नमः” मंत्र से रात्रिकालीन जाप करने से शत्रु भय समाप्त होता है।
✴️ 3.4 यंत्र-सिद्धि की रात्रि
- इस दिन विशेष यंत्र – श्री यंत्र, काली यंत्र, भैरव यंत्र आदि की प्राण-प्रतिष्ठा कर सिद्ध किया जा सकता है।
- मंत्र, यंत्र और तंत्र की त्रिवेणी इस रात में अपने चरम पर होती है।
🌌 3.5 रात्रिकालीन प्रयोग और जागरण
- रात 12 बजे से 3 बजे तक – तांत्रिक जागरण, विशेष हवन, और एकांत साधना सर्वोत्तम मानी जाती है।
- काले कपड़े पहनकर साधना करना उर्जाओं को केंद्रीत करने में सहायक होता है।
🔱 भाग 4: कालभैरव और श्रावण अमावस्या का तांत्रिक संबंध
🕉️ 4.1 कालभैरव कौन हैं?
कालभैरव, भगवान शिव का रौद्र और तांत्रिक स्वरूप हैं। उन्हें “काल” (समय) के भी भक्षक कहा जाता है। भैरव का अर्थ है — भय को हरने वाला।
श्रावण मास की अमावस्या पर कालभैरव की उपासना विशेष फलदायक मानी जाती है क्योंकि यह रात्रि, राक्षसी शक्तियों और रहस्यमय तंत्र-साधना का प्रतीक समय होता है।
🌑 4.2 श्रावण अमावस्या पर कालभैरव की तांत्रिक सक्रियता
श्रावण अमावस्या को रात्रि का प्रभाव बढ़ जाता है और “भैरव तत्व” पूर्ण रूप से जाग्रत हो जाता है। इस दिन:
- काली और भैरव के यंत्र-साधना विशेष रूप से सफल होती है।
- अघोर परंपरा के साधक इसी दिन भैरव अर्चन से तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करते हैं।
- रात्रि के समय भैरव अष्टमी तुल्य शक्ति अमावस्या में मानी जाती है।
- तांत्रिक ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन भैरव मंत्रों की सिद्धि 10 गुना जल्दी होती है।
🔺 4.3 कालभैरव के प्रमुख मंत्र इस अमावस्या के लिए
- “ॐ कालभैरवाय नमः” – सामान्य पूजन के लिए।
- “ॐ हं ह्रीं क्लीं कालभैरवाय फट्” – रात्रिकालीन साधना के लिए।
- “ॐ भैरवाय महाकालाय कपालमालिने फट् स्वाहा” – नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा हेतु।
🕯️ इन मंत्रों का जप रात्रि 11 बजे से 2 बजे के बीच दक्षिणमुखी दीपक के सामने करने से तांत्रिक अवरोध दूर होते हैं।
⚖️ 4.4 श्रावण अमावस्या पर कालभैरव पूजन के लाभ
लाभ | विवरण |
---|---|
शत्रु बाधा से मुक्ति | अदृश्य और प्रबल शत्रुओं का नाश |
भय, भ्रम और मानसिक अशांति से मुक्ति | भैरव साधना से मनोबल में वृद्धि |
कर्ज व मुकदमे से छुटकारा | धन-संबंधी रुकावटें दूर होती हैं |
तांत्रिक बाधाओं से सुरक्षा | नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा से रक्षा |
🔐 4.5 कालभैरव के कुछ गोपनीय तांत्रिक टोटके (केवल जानकारी हेतु)
- भैरव सिद्धि प्रयोग: काले तिल और काले कपड़े में लपेटकर 11 नींबू भैरव मंदिर में चढ़ाएं।
- शत्रु नाश हेतु: रात 12 बजे पीपल के नीचे बैठकर “भैरव कवच” का पाठ करें।
- गुप्त धन प्राप्ति हेतु: अमावस्या रात्रि को दक्षिणमुखी दीपक में सरसों का तेल भरकर कालभैरव यंत्र के सामने रखें और “भैरव स्तोत्र” पढ़ें।
⚠️ सावधानी: तांत्रिक प्रयोग अनुभवी तांत्रिक गुरु की देखरेख में ही करने चाहिए। ये केवल ज्ञानवर्धन हेतु दिए जा रहे हैं।
🔱 भाग 5: श्रावण अमावस्या और पितृ दोष निवारण के रहस्य
श्रावण अमावस्या, जिसे पितृ तर्पण और पितरों की शांति के लिए विशेष माना जाता है, तंत्रशास्त्र और वेदों – दोनों में अत्यंत महत्त्वपूर्ण दिन है। आइए समझते हैं कि कैसे यह दिन पितृ दोष, पूर्वजों की अशांति, और वंशगत समस्याओं के निवारण के लिए उपयुक्त होता है।
🌑 5.1 श्रावण अमावस्या और पितृ लोक का संबंध
श्रावण माह में अमावस्या तिथि वह क्षण है जब चंद्रमा पूरी तरह से अंधकार में होता है — यह तिथि पितृ लोक के द्वार खोलती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पितृ पृथ्वी पर आते हैं और उनके लिए किया गया तर्पण, श्राद्ध, और जलदान कई जन्मों के ऋण को समाप्त कर सकता है।
🕉 गरुड़ पुराण और अग्नि पुराण में कहा गया है:
“अमावस्या तिथि विशेषतः श्रावण में पितरों के लिए अत्यंत प्रिय होती है। इस दिन किया गया श्राद्ध, सौ वर्षों तक की संतोषकारक ऊर्जा देता है।”
🔥 5.2 पितृ दोष क्या होता है?
पितृ दोष कोई श्राप नहीं है, बल्कि यह हमारे कुल (वंश) के पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं, अशांत आत्माओं या उनकी उपेक्षा का परिणाम होता है। जब किसी पूर्वज का ठीक से श्राद्ध न किया जाए, या कुल में पाप, अन्याय हो — तो यह दोष उत्पन्न होता है।
👣 इसके कारण:
- कुल में अकाल मृत्यु
- संतान न होना
- विवाह में बाधा
- मानसिक तनाव, धन का नुकसान
🌿 5.3 श्रावण अमावस्या पर पितृ दोष निवारण क्यों कारगर है?
क्योंकि यह दिन ऊर्जा, ग्रहों और पितृलोक की उपस्थिति के सबसे निकट होता है। विशेषकर जब अमावस्या सोमवार को हो — सोमवती अमावस्या, तब यह दिन अधिक फलदायी होता है।
📿 इस दिन किए गए कर्म:
- जल तर्पण (जल में काले तिल, कुशा और दूध डालकर)
- पिंडदान
- दीपदान
- पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाना
- गरीब ब्राह्मणों को भोजन
🧘♂️ 5.4 पितृ दोष निवारण के तांत्रिक उपाय (श्रावण अमावस्या को ही करें)
👉 1. काले तिल का तर्पण
तांत्रिक रूप से काले तिल में ऐसी स्पंदन शक्ति है जो पितृ आत्माओं तक पहुंचती है।
👉 2. “ॐ पितृभ्यः नमः” मंत्र का 108 बार जाप
यह बीजमंत्र पितरों को शांत करता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त कराता है।
👉 3. पीपल वृक्ष का पूजन और दीपक जलाना
पीपल को पितरों का वास माना गया है। इस दिन वहाँ एक दीपक और कच्चा दूध चढ़ाना अत्यंत शुभ है।
👉 4. रात्रिकालीन तर्पण (तांत्रिक तर्पण)
कुछ परंपराओं में श्रावण अमावस्या की रात चंद्र रहित होने के कारण विशेष ‘रात्रिकालीन तर्पण’ किए जाते हैं, जहाँ पूर्वजों की आत्मा को आह्वान कर शांति प्रदान की जाती है।
🧿 5.5 श्रावण अमावस्या को पिंडदान कहाँ करें?
अगर आप किसी तीर्थ स्थान पर नहीं जा सकते, तो निम्न स्थानों को श्रेष्ठ माना गया है:
- घर पर तुलसी के पास
- गंगा जल से स्नान के बाद पूर्व दिशा की ओर मुंह करके
- पीपल के नीचे
🛕 पवित्र स्थान:
- गया (बिहार)
- त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र)
- पुष्कर (राजस्थान)
- हरिद्वार
📜 5.6 ध्यान देने योग्य बातें
- तर्पण के समय मन शांत और भक्तिभाव से युक्त होना चाहिए।
- श्रावण अमावस्या पर श्राद्ध करने से “महालय पक्ष” में श्राद्ध न कर पाने का दोष भी समाप्त हो जाता है।
- इस दिन कोई भी तामसिक भोजन न करें।
🔮 भाग 6: अमावस्या की रात के सिद्ध योग – कैसे करें साधना?
श्रावण अमावस्या की रात केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि तांत्रिक साधना और सिद्धियों की प्राप्ति के लिए भी अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है। यह वह रात्रि है जब सूक्ष्म ऊर्जा जगत सक्रिय होता है और ब्रह्मांडीय कंपन (cosmic vibrations) साधक को ऊँचे स्तर पर ले जा सकते हैं।
🕯️ 6.1 अमावस्या पर सिद्ध योगों की विशेषता
- पूर्ण अंधकार + चंद्र शून्यता = गूढ़ ऊर्जा का संचार
- पंचतत्त्व की स्थिरता = मंत्र सिद्धि के लिए उपयुक्त समय
- तांत्रिक साधकों के लिए ‘गूढ़ प्रेत वशीकरण, भूतोद्वार, भैरव सिद्धि’ जैसे प्रयोग इस दिन विशेष माने जाते हैं।
🔱 6.2 श्रावण अमावस्या की रात्रि में सिद्ध होने वाली प्रमुख साधनाएं:
साधना | उद्देश्य | मंत्र | विशेष निर्देश |
---|---|---|---|
भैरव साधना | भय/दुर्घटना निवारण | ॐ कालभैरवाय नमः | 11 लड्डू का भोग, काले तिल का दीपक |
पितृ साधना | पितृ दोष शांति | ॐ नमः पितृदेवताभ्यः | दक्षिणमुखी दीपक, 1 कटोरी तिल |
काली साधना | नकारात्मक ऊर्जा निवारण | क्रीं कालीकायै नमः | नीले पुष्प और नीले वस्त्र |
धन प्राप्ति तंत्र | आर्थिक समस्या समाधान | श्रीं महालक्ष्म्यै नमः | कमलगट्टा माला, लाल वस्त्र |
🌑 6.3 अमावस्या की रात्रि साधना कैसे करें?
Step-by-step प्रक्रिया:
- रात्रि 12 बजे से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- एक दीपक में सरसों का तेल भरें और उसमें काले तिल डालें।
- अपनी साधना अनुसार मंत्र जप शुरू करें — कम से कम 108 बार।
- साधना के बाद 1 दीपक पीपल के पेड़ के नीचे रखें और प्रणाम करें।
- सुबह तक मौन रहें और शुद्ध आहार लें।
⚠️ 6.4 क्या करें और क्या न करें?
करना चाहिए ✅ | नहीं करना चाहिए ❌ |
---|---|
एकांत में साधना करें | बिना शुद्धता के तंत्र प्रयोग न करें |
तामसिक भोजन से बचें | शराब, मांस, क्रोध से दूर रहें |
शुद्ध मन और आस्था रखें | किसी को नीचा दिखाने की भावना न रखें |
✨ 6.5 यह साधना किन लोगों को नहीं करनी चाहिए?
- जिनका मानसिक संतुलन कमजोर है।
- गर्भवती स्त्रियाँ।
- 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे।
भाग 7: श्रावण अमावस्या के 11 गुप्त टोटके – जीवन की हर समस्या का समाधान
🔷 1. काले तिल का उपाय
उपयोग: बुरी नजर, रोग बाधा निवारण।
विधि: 7 काले तिल लेकर सिर से 7 बार वारकर बहते जल में बहा दें।
🔷 2. नींबू पर सिंदूर
उपयोग: शत्रु बाधा से मुक्ति।
विधि: नींबू के चार टुकड़े करके उन पर सिंदूर लगाकर चौराहे पर फेंक दें।
🔷 3. पीपल पर दीपक
उपयोग: पितृ दोष और दरिद्रता निवारण।
विधि: पीपल के पेड़ के नीचे शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
🔷 4. काले कपड़े का प्रयोग
उपयोग: राहु-केतु दोष से छुटकारा।
विधि: काले कपड़े में सिक्का और उड़द बांधकर बहते जल में बहाएं।
🔷 5. चावल का दान
उपयोग: चंद्रमा और मन संबंधी दोष।
विधि: सफेद चावल चंद्रमा को अर्पित करें या गरीबों को दान करें।
🔷 6. हल्दी और गुड़ का टोटका
उपयोग: ग्रह शांति और धन प्राप्ति।
विधि: हल्दी और गुड़ मिलाकर पीले वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रखें।
🔷 7. नारियल सिर से उतारना
उपयोग: बुरी शक्तियों से रक्षा।
विधि: एक नारियल सिर से 7 बार वारकर बहते जल में बहा दें।
🔷 8. शमी का पत्ता
उपयोग: शनि शांति के लिए।
विधि: शमी के पत्ते पर सिंदूर लगाकर शनिदेव को अर्पित करें।
🔷 9. झाड़ू और लोहे की कील
उपयोग: तंत्र बाधा निवारण।
विधि: अमावस्या की रात घर में झाड़ू रखें और मुख्य दरवाजे पर कील ठोकें।
🔷 10. गाय को रोटी पर गुड़
उपयोग: पितृ और ग्रह दोष दोनों की शांति।
विधि: गाय को गुड़ लगी रोटी खिलाएँ।
🔷 11. जलती दीपक में लौंग
उपयोग: लक्ष्मी प्राप्ति और दुर्भाग्य निवारण।
विधि: शाम को दीपक में 2 लौंग डालकर माँ लक्ष्मी का ध्यान करें।
भाग 8: श्रावण अमावस्या पर लक्ष्मी प्राप्ति के टोटके और उपाय
श्रावण अमावस्या, जब चंद्रमा पूर्णतः लुप्त हो जाता है और आकाश गहनतम अंधकार से ढका होता है, वह तिथि तंत्र, साधना और दिव्य शक्तियों के जागरण की विशेष रात मानी जाती है। इस दिन को धन प्राप्ति, दरिद्रता निवारण और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ और प्रभावशाली माना गया है। यहां हम श्रावण अमावस्या पर किए जाने वाले कुछ प्रभावशाली लक्ष्मी प्राप्ति के टोटकों और उपायों को विस्तार से बता रहे हैं:
1. काली हल्दी का प्रयोग
- क्या करें: एक पीला कपड़ा लें, उसमें काली हल्दी की गांठ, गोमती चक्र, और एक सिक्का बांधकर अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान पर रखें।
- लाभ: इससे धन में वृद्धि होती है और अनायास धन हानि रुकती है।
2. लक्ष्मी नारायण का अभिषेक
- क्या करें: श्रावण अमावस्या की रात लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति का गंगाजल, दूध, शहद, दही और घी से पंचामृत अभिषेक करें।
- मंत्र: “ॐ श्रीं श्रीये नमः”
- लाभ: इससे स्थायी लक्ष्मी प्राप्त होती है।
3. पीपल के पेड़ की पूजा
- क्या करें: सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और 11 बार परिक्रमा करें।
- मंत्र: “ॐ नमः भगवते वासुदेवाय”
- लाभ: जीवन की दरिद्रता दूर होती है।
4. कौड़ियों का उपाय
- क्या करें: श्रावण अमावस्या को 7 पीली कौड़ियां हल्दी से रंगकर लक्ष्मी मंदिर में चढ़ाएं या अपने धन स्थान पर रखें।
- लाभ: लक्ष्मी स्थिर होती हैं।
5. श्रीयंत्र की स्थापना
- क्या करें: इस दिन श्रीयंत्र की स्थापना करके विधिवत पूजन करें। इसे लाल कपड़े पर स्थापित करें और प्रतिदिन दीपक जलाएं।
- लाभ: धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
6. मछलियों को आटे की गोलियां
- क्या करें: श्रावण अमावस्या के दिन आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
- लाभ: यह ऋण मुक्ति और धन वृद्धि में सहायक होता है।
7. खीर का दान
- क्या करें: इस दिन चांदी या मिट्टी के बर्तन में बनी खीर गरीबों को दान करें।
- लाभ: मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और घर में कभी दरिद्रता नहीं आती।
8. लक्ष्मी चालीसा का पाठ
- क्या करें: श्रावण अमावस्या की रात लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें और घी का दीपक जलाकर मां लक्ष्मी की आराधना करें।
- लाभ: चमत्कारिक रूप से लक्ष्मी कृपा का अनुभव होता है।
9. तांत्रिक सिद्ध चांदी का सिक्का
- क्या करें: श्रावण अमावस्या को तांत्रिक सिद्ध चांदी का सिक्का खरीदकर घर लाएं और पूजा कर धन स्थान पर रखें।
- लाभ: यह घर में धन चुम्बक की तरह कार्य करता है।
10. सफेद वस्त्रों में दान
- क्या करें: इस दिन ब्राह्मण या जरूरतमंद को सफेद वस्त्र, चावल, चीनी और धन का दान करें।
- लाभ: यह उपाय विशेषकर चंद्र दोष और लक्ष्मी नाराजगी को दूर करता है।
विशेष संकेत:
- श्रावण अमावस्या की रात को अगर आप मौन व्रत रखते हुए लक्ष्मी साधना करें तो यह अचूक परिणाम देता है।
- साधना के दौरान चांदी या मिट्टी के दीपक का प्रयोग करें।
अंत में: ये सभी उपाय तभी फलित होते हैं जब आप पूरी श्रद्धा, शुद्धता और विश्वास से उन्हें करें। लक्ष्मी माता की कृपा पाना आसान है, बस सच्चे मन से प्रार्थना करें और नियमपूर्वक कार्य करें।
🕸️ भाग 9: तांत्रिक दृष्टि से श्रावण अमावस्या का महत्व और रहस्य
9.1 तंत्र और अमावस्या – क्यों मानी जाती है यह रात विशेष?
श्रावण अमावस्या की रात्रि को तांत्रिक साधनाओं के लिए सबसे शक्तिशाली माना जाता है। इस रात में अंधकार और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का मिलन होता है, जिससे सूक्ष्म लोक के द्वार खुलते हैं। तांत्रिकों के अनुसार यह रात देवताओं की नहीं, अपार शक्तियों की है।
9.2 कौन-कौन से तांत्रिक अनुष्ठान इस रात किए जाते हैं?
- काली साधना: अमावस्या की रात तांत्रिक शक्तियों की अधिष्ठात्री देवी काली की पूजा के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
- भैरव अनुष्ठान: भय, शत्रु या अज्ञात शक्तियों से रक्षा हेतु भैरव साधना की जाती है।
- गुप्त यंत्र सिद्धि: कई तांत्रिक इस दिन यंत्रों को सिद्ध करते हैं जैसे: बगलामुखी यंत्र, काली यंत्र, भैरव यंत्र।
- पिशाच साधना या श्मशान साधना: यह अत्यंत गुप्त और खतरनाक मानी जाती हैं जो केवल अनुभवी तांत्रिक ही करते हैं।
9.3 क्या आम व्यक्ति तांत्रिक साधनाएं कर सकता है?
यदि आप साधक नहीं हैं तो इस दिन किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन के बिना तांत्रिक अनुष्ठान न करें। लेकिन कुछ सुरक्षित और सकारात्मक प्रयोग जैसे:
- दीपक जलाकर “ॐ क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” का 108 बार जप करना।
- घर में शंख या घंटी बजाकर नकारात्मकता को दूर करना।
- नींबू पर काली मिर्च और लौंग रखकर चारों दिशाओं में घुमाकर जल प्रवाह करना।
9.4 तांत्रिक दृष्टि से क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
- अकेले अंधकार में कोई अनुष्ठान न करें।
- रक्त या मांस का प्रयोग करने वाले तंत्रों से दूर रहें।
- तंत्र प्रयोग के लालच में किसी को हानि पहुँचाने का विचार न करें – यह उल्टा प्रभाव देता है।
भाग 10: श्रावण अमावस्या और मृतात्माओं की मुक्ति – क्या कहता है तंत्र?
श्रावण अमावस्या की रात्रि को मृतात्माओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। तंत्रशास्त्र और प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, इस दिन पृथ्वी और पाताल लोक के बीच की सीमाएं कमजोर हो जाती हैं। इस कारण, पितृलोक व अन्य लोकों की आत्माएं इस दिन पृथ्वी पर आसानी से आ-जा सकती हैं। यही कारण है कि इस दिन मृत पूर्वजों की शांति और मुक्ति के लिए विशेष तांत्रिक विधियाँ अपनाई जाती हैं।
10.1 आत्मा की मुक्ति और श्रावण अमावस्या
तंत्रों में बताया गया है कि जो आत्माएं मृत्यु के बाद भी किसी कारणवश इस लोक में अटकी रहती हैं—जैसे आकस्मिक मृत्यु, आत्महत्या, या किसी अधूरी इच्छा के कारण—वे अमावस्या की रात में अधिक सक्रिय होती हैं। इस दिन यदि विशेष मंत्रों, पिंडदान और तर्पण से उन्हें संतुष्ट किया जाए, तो उन्हें गति और मुक्ति मिल सकती है।
10.2 मृतात्माओं को संतुष्ट करने की तांत्रिक प्रक्रिया
- काले तिल और जल का तर्पण: पवित्र नदी या घर के आंगन में काले तिल मिलाकर जल से पितरों को तर्पण देना।
- सफ़ेद कपड़े और दीपदान: उत्तर दिशा की ओर मुख करके सफेद कपड़े में खीर, बताशे, और दीप रखकर प्रार्थना करना।
- पिंडदान: कच्चे चावल, तिल और घी से बना पिंड, विशेष रूप से तांत्रिक विधि से, आत्मा को समर्पित करना।
- शिव मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे” का 108 बार जाप करना।
10.3 ब्रह्म मुहूर्त और रात्रि साधना का महत्व
- ब्रह्म मुहूर्त (प्रातः 4–5 बजे) में पितृ तर्पण विशेष फलदायी माना गया है।
- रात में दीप जलाकर उत्तर दिशा में बैठकर विशेष पितृ मंत्रों का जाप करना आत्मा की गति के लिए उपयुक्त है।
10.4 किन लोगों को करनी चाहिए यह साधना?
- जिनके परिवार में अकाल मृत्यु हुई हो।
- जिनके सपनों में बार-बार मृत पूर्वज आते हों।
- जिनके जीवन में अचानक बाधाएं, रुकावटें या भय पैदा हो रहे हों।
- जिनके घर में नकारात्मकता बनी रहती हो।
10.5 क्या कहती है गरुड़ पुराण?
गरुड़ पुराण में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि अमावस्या को किए गए श्राद्ध और तर्पण से आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से श्रावण अमावस्या की तिथि तो आत्मा को “मोक्षमार्ग” तक पहुंचा सकती है।
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