श्रावण मास में शिवलिंग पर क्या चढ़ाएं और क्या नहीं

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1️⃣ श्रावण मास का आध्यात्मिक महत्व

श्रावण मास शिवभक्ति का सर्वोत्तम समय माना गया है—ये वही मास है जिसमें शिव ने हलाहल विष पिया था और देवताओं ने उन्हें गंगाजल अर्पित किया था ।
इस महीने में जो अर्पित किया जाता है, उसकी महत्ता अन्य महीनों की तुलना में कई गुना बढ़ जाती है।


2️⃣ शिवलिंग पूजा का विज्ञान

शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत आदि चढ़ाने की प्रक्रिया सिर्फ धार्मिक नहीं—इनसे कंपन, शीतलता व ध्यान की लहरें उत्पन्न होती हैं ।
यह प्राचीन विज्ञान और ध्यान-योग से मेल खाता है।


3️⃣ श्रावण में शिवलिंग पर चढ़ाने योग्य सामग्री

आइये जानते हैं क्या-क्या चढ़ाया जा सकता है:

✔️ पवित्र जल (गंगाजल)

शिव का प्रमुख अर्पण, हलाहल शीतला करता है और मानसिक शांति लाता है ।

✔️ दूध, दही, घी, शहद, शक्कर (पंचामृत)

शक्तिशाली पंचामृत हृदय व मन की शुद्धि करता है ।

✔️ बेलपत्र

त्रिगुणात्मक प्रतीक, अहंकार और त्रियात्रा का त्याग दिलाता है ।

✔️ धतूरा / आक पुष्प

विष प्रतीक, शिव की क्षमाशीलता और वैराग्य दर्शाता है ।

✔️ शहद

मधुरता, संपन्नता व प्रेम का प्रतीक

✔️ चंदन लेप

मानसिक शांति और विवेक को जागृत करता है ।

✔️ फल और अक्षत

धार्मिक पूर्णता और समर्पण दर्शाते हैं ।

✔️ गंगा जल से बने भस्म (विभूति)

श्मशान-प्रतीक, अहंकार की ज्वाला बुझाता है ।


4️⃣ पूजा में मत चढ़ाएं ये चीजें व कारण

❌ कुमकुम / सिंदूर / हल्दी / केतकी फूल

शिव वैरागी हैं, उन्हें राग भंग करण वाले तत्व प्रिय नहीं ।

❌ तुलसी के पत्ते

विष्णु को प्रिय, शिव पूजा में अनुचित ।

❌ लाल पुष्प

शाक्तिक रंग, शिव की निर्गुण प्रकृति से असंगत 

❌ शंख जल

‘शंखचूड’ असुर से उत्पन्न—लड़ाकू तत्व को अर्पण अनुचित ।

❌ तूटी हुई चावल

धार्मिक अशुद्धता दिखाती हैं ।

❌ कच्चा धागा, लौंग, प्लास्टिक

ये अशुद्धता और उद्योग को दर्शाते हैं।


5️⃣ पूजा विधि: क्या करें, कब करें, कैसे करें

  • समय: श्रावण सोमवार व्रत/प्रदोष/पूजन महत्त्वपूर्ण ।
  • स्नान और शुद्धता: ब्रह्म मुहूर्त स्नान, साफ वस्त्र, दोष-मुक्त मन।
  • अभिषेक क्रिया: शिवलिंग पर जल, पंचामृत, बेलपत्र, चंदन लेप, फल अर्पित।
    मंत्र: “ॐ नमः शिवाय”, “ॐ त्र्यंबकं…” आदि।

6️⃣ पंचामृत-अभिषेक का रहस्य

पांच तत्व रखते हैं —

  • जल: मन की शीतलता
  • दूध: आत्मा की पवित्रता
  • दही: लाभ-समृद्धि
  • घी: तप, दीप
  • शहद/शक्कर: प्रेम व शक्ति

इसके बाद बेलपत्र संतुलन व त्रिगुण त्याग का प्रतीक है।


7️⃣ नकारात्मक और अशुद्ध आचरण

  • नशीले पदार्थ, मांस, मदिरा सेवन के बाद पूजा वर्जित 
  • झूठ, विद्वेष, अहंकार व अशुद्ध कर्म अर्पण को शमित करते हैं।

8️⃣ भक्तों के अनुभव और चमत्कारी कथाएं

  • कई भक्तों ने शिवलिंग पर सही पूजा से रोग मुक्ति, मानसिक शांति, पारिवारिक सुधार देखा।
  • सोशल प्लेटफ़ॉर्म और YouTube पर हजारों वीडियो हैं जहाँ पूरा विधि और अनुभव साझा किए गए हैं।

9️⃣ वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • सरल जीवन नियम → ध्यान, संयम, मानसिक स्वास्थ्य सुधार।
  • डिटॉक्सिफिकेशन — पंचामृत और जल उपवास भोजन संयम में लाभदायक ।
  • कंपन चिकित्सा — मंत्र जाप और अभिषेक से मानसिक शांति मिलती है

🔟निष्कर्ष: पूजा का सार

श्रावण में शिवलिंग पूजा सिर्फ आचार- नियमों का पालन नहीं — यह मन, वचन, कर्म की स्वच्छता है।
जो श्रद्धा से विधि का पालन करता है, शिव उसे निराश नहीं करते।


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