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🔱 भूमिका:

सनातन धर्म में समय को केवल भौतिक घड़ी या कैलेंडर से नहीं मापा जाता, बल्कि यह प्रकृति, ग्रहों और विशेषकर चंद्रमा के अनुसार चलता है। चंद्रमा के बढ़ने और घटने की प्रक्रिया के अनुसार समय को शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में बाँटा गया है। यही पक्ष पूरे पंचांग, व्रत-त्योहार, तिथि गणना और धर्म-कर्म का आधार बनते हैं।
इस लेख में हम जानेंगे:
- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष का अर्थ क्या है?
- इनकी वैज्ञानिक और आध्यात्मिक व्याख्या क्या है?
- किस पक्ष में कौन से व्रत-त्योहार आते हैं?
- यह मानव जीवन और प्रकृति पर कैसे प्रभाव डालते हैं?
🔹 शुक्ल पक्ष क्या होता है?
शुक्ल पक्ष वह काल होता है जब चंद्रमा धीरे-धीरे बढ़ता है यानी अंधकार से प्रकाश की ओर आता है। यह काल अमावस्या के अगले दिन से पूर्णिमा तक होता है।
👉 विशेषताएँ:
- चंद्रमा प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा बढ़ता है
- प्रत्येक दिन चंद्रमा अधिक चमकदार दिखता है
- कुल 15 तिथियाँ होती हैं: प्रतिपदा से पूर्णिमा तक
✨ धार्मिक दृष्टि से:
- शुक्ल पक्ष को सात्त्विक, शुभ और उन्नति देने वाला समय माना जाता है
- इस समय अधिकतर शुभ कार्य जैसे विवाह, यज्ञ, गृहप्रवेश आदि किए जाते हैं
- ध्यान, पूजा, और सकारात्मक ऊर्जा के लिए श्रेष्ठ माना गया है
📅 प्रमुख त्योहार (शुक्ल पक्ष):
- नवरात्रि (चैत्र और अश्विन शुक्ल)
- रक्षाबंधन (श्रावण शुक्ल पूर्णिमा)
- गुरु पूर्णिमा (आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा)
- राम नवमी, जन्माष्टमी (शुक्ल पक्ष में पड़ती है)
🔹 कृष्ण पक्ष क्या होता है?
कृष्ण पक्ष वह काल होता है जब चंद्रमा धीरे-धीरे घटता है यानी प्रकाश से अंधकार की ओर जाता है। यह काल पूर्णिमा के अगले दिन से अमावस्या तक होता है।
👉 विशेषताएँ:
- चंद्रमा प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा कम होता है
- प्रत्येक दिन उसकी चमक घटती जाती है
- कुल 15 तिथियाँ होती हैं: प्रतिपदा से अमावस्या तक
✨ धार्मिक दृष्टि से:
- कृष्ण पक्ष को गंभीर, तपस्वी और आत्मनिरीक्षण का समय माना गया है
- इस दौरान साधना, तप, व्रत और पितृकार्य अधिक होते हैं
📅 प्रमुख त्योहार (कृष्ण पक्ष):
- महालय पितृपक्ष (भाद्रपद कृष्ण)
- महाशिवरात्रि (फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी)
- कृष्ण जन्माष्टमी (भाद्रपद कृष्ण अष्टमी)
- कालाष्टमी, शनि जयंती, काली पूजा आदि
🔹 वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
- चंद्रमा और भावनाओं का संबंध:
- शुक्ल पक्ष में चंद्रमा बढ़ता है — यह उत्साह, ऊर्जा और वृद्धि से जुड़ा होता है
- कृष्ण पक्ष में चंद्रमा घटता है — यह गंभीरता, गहन चिंतन और अवसाद से जुड़ा हो सकता है
- प्रकृति में प्रभाव:
- समुद्री ज्वार-भाटा, वृक्षों की वृद्धि, प्रजनन चक्र आदि पर प्रभाव
- आयुर्वेद में औषधियों की ताकत भी इन पक्षों के अनुसार बदलती है
- शरीर पर प्रभाव:
- उपवास, ध्यान, योग — शुक्ल पक्ष में शरीर को सशक्त बनाते हैं
- कृष्ण पक्ष में विषहरण, रोग निवारण और तप के लिए उपयुक्त समय होता है
🔹 आध्यात्मिक दृष्टिकोण:
- शुक्ल पक्ष – आत्मा का प्रकाश:
- यह काल आत्मा की प्रगति, ज्ञान, ध्यान और भक्ति का प्रतीक है
- यह शुभ, वृद्धि और निर्माण की ऊर्जा से युक्त होता है
- कृष्ण पक्ष – आत्मनिरीक्षण का अंधकार:
- यह समय तप, त्याग, विनाश और पुनर्निर्माण का है
- ध्यान, मौन और साधना से जुड़े कार्य इस समय फलदायी होते हैं
🔹 पंचांग में पक्ष का महत्व:
भारतीय पंचांग का आधार ही चंद्रमा की गति है। हर मास दो पक्ष होते हैं:
- शुक्ल पक्ष (प्रकाश)
- कृष्ण पक्ष (अंधकार)
👉 प्रत्येक मास का आरंभ और समापन:
- हिंदू तिथि गणना या तो अमावस्या के बाद (अमांत प्रणाली) से या पूर्णिमा के बाद (पूर्णिमांत प्रणाली) से होती है।
- दोनों ही प्रणाली में शुक्ल और कृष्ण पक्ष की 15-15 तिथियाँ होती हैं
🔹 कौन से कार्य किस पक्ष में करने चाहिए?
✔️ शुक्ल पक्ष:
- विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ, नई शुरुआत
- ब्रह्मचर्य व्रत, उपनयन, नामकरण
- तीर्थ यात्रा, दान, शुभ संकल्प
✔️ कृष्ण पक्ष:
- पितृ तर्पण, श्राद्ध, ध्यान, मौन व्रत
- तंत्र-साधना, रात्रि पूजा, रोग निवारण प्रयोग
- आत्म विश्लेषण और मनोविज्ञानिक चिकित्सा
🔹 शुक्ल और कृष्ण पक्ष से जुड़े देवता:
पक्ष | संबंधित देवता | प्रतीक |
---|---|---|
शुक्ल पक्ष | विष्णु, लक्ष्मी, सरस्वती | सत्त्व, वृद्धि, प्रकाश |
कृष्ण पक्ष | शिव, काली, यम, भैरव | तम, संहार, तप |
🔹 चंद्र पक्ष और मानसिक स्वास्थ्य:
भारतीय ऋषियों ने पाया कि चंद्रमा केवल आकाशीय पिंड नहीं, बल्कि मानसिक ऊर्जा से गहराई से जुड़ा है।
- शुक्ल पक्ष में व्यक्ति अधिक सकारात्मक, उत्साही, समाजमुखी होता है
- कृष्ण पक्ष में आत्मचिंतन, अकेलापन और गहराई की ओर प्रवृत्ति बढ़ती है
इसीलिए आयुर्वेद, योग और ज्योतिष सभी चंद्र पक्ष को ध्यान में रखते हैं।
🔹 निष्कर्ष:
शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष, केवल समय की गणना नहीं — बल्कि जीवन का दर्शन हैं। एक हमें बढ़ने की प्रेरणा देता है (शुक्ल), तो दूसरा हमें भीतर झाँकने का अवसर देता है (कृष्ण)।
सनातन धर्म के इस अद्भुत समय विज्ञान को समझकर हम अपने जीवन, साधना, स्वास्थ्य और समाज के प्रति अधिक सजग हो सकते हैं।
👉 यदि आप चंद्रमा और तिथि विज्ञान से जुड़ी पूर्णिमा और अमावस्या का आध्यात्मिक अर्थ जानना चाहते हैं, तो हमारा यह पूर्णिमा और अमावस्या का रहस्य ब्लॉग ज़रूर पढ़ें।
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